Kundli Tv- मृत्यु के बाद यहां पहुंचेगी आपकी सवारी

Wednesday, Sep 26, 2018 - 02:29 PM (IST)

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गीता के हर श्लोक से कोई न कोई सीख मिलती है। श्रीमद्भागवत गीता एक एेसा ग्रंथ माना जाता है जिसमें मानव के हर सवाल का जवाब मिलता है। आज हम गीता के एक एेसे ही श्लोक के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसे प्रभु खुद बताते हैं कि कौन मुझे कैसे प्राप्त कर सकता है। 

श्लोक-
यान्ति देवव्रता देवान् पितृ़न्यान्ति पितृव्रताः।
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्।। गीता 9/25।।


भावार्थ-
इस श्लोक में ईश्वर कहते हैं कि देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मेरा पूजन करने वाले मुझको ही प्राप्त होते हैं।

इस श्लोक से यह समझ आता है कि व्यक्ति अपने मन में जो भाव पक्का करता है, वही मन में तैरने लगता है और व्यक्ति उसी के अनुसार हो जाता है। भगवान कहते हैं कि इस जन्म में जो देवताओं के पूजन में लगे हैं और दिन-रात उन्हें विचरते रहते हैं, मरने के बाद वो देवताओं को ही प्राप्त होते हैं। 

ऐसे ही जो पितरों का पूजन करते हैं और उनके बारे में ही सोचते रहते हैं, मरने के बाद वो भी पितर बन जाते हैं। तो वहीं जो इस जन्म में भूतों के पूजन में लगे हैं और केवल भूतों के बारे में सोचते रहते हैं वो मृत्यु के उपरान्त भूतों को ही प्राप्त होंगे।

लेकिन जो इस जन्म में मुझ परमात्मा का पूजन करते हैं और मेरे ही भाव में बने रहते हैं वो मरने के बाद मुझे ही प्राप्त होते हैं।
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Jyoti

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