Kundli Tv- शरद पूर्णिमा और निधिवन से जुड़ा रहस्य नहीं जानते होंगे आप

Wednesday, Oct 24, 2018 - 12:57 PM (IST)

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बुधवार 23 अक्टूबर 2018 यानि आज शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। हिंदू धर्म के शास्त्रों में इस त्योहार का अधिक महत्व माना गया है। इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ देवी लक्ष्मी का पूजा का भी विधान होता है। इसके अलावा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात में ही गोपियों के साथ रासलीला की थी। मान्यता है कि हर वर्ष शरद पूर्णिमा की रात को श्रीकृष्ण अपनी गोपियों औऱ राधा रानी के साथ वृंदावन के निधिवन में रासलीला रचाते हैं। इसी वजह से निधिवन को आज भी रहस्यमयी माना जाता है। 

जानिए शरद पूर्णिमा के संबंध में प्रचलित कथा-
कहा जाता है कि द्वापर युग में एक बार जब सभी गोपियों ने श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की तो श्रीकृष्ण ने उनकी इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने ने रास आयोजित किया। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्र अपनी 16 कलाओं के साथ दिखाई देता है, इसलिए इस रात चांद सबसे ज्यादा सुंदर दिखता है। यही कारण था कि श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट के पास निधिवन में गोपियों को मिलने के लिए कहा। सभी गोपियां तैयार होकर निधिवन पहुंच गई। यहां श्रीकृष्ण ने एक अद्भुत लीला दिखाई। उस समय निधिवन में जितनी गोपियां थीं, श्रीकृष्ण ने उतने ही रूप धारण किए और सभी गोपियों के साथ रास रचाया।

निधिवन से जुड़ी ये खास बातें जो नहीं जानते होंगे आप-
कहा जाता है निधिवन में तुलसी के पेड़ हैं। इन सभी पेड़ों की शाखाएं ज़मीन की ओर से आती हैं। रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडे के सहारे रोका गया है। मान्यता है कि निधिवन में बने रंग महल में रोज़ रात को राधा-कृष्ण आते हैं। रंग महल में राधा और श्रीकृष्ण के लिए रखे गए चंदन के पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के पास ही एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान, दातुन, पान रख दिया जाता है।

अगली सुबह पांच बजे जब रंग महल खोला जाता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त मिलता हैं। पानी का लौटा खाली मिलता है, उपयोग की हुई दातुन मिलती है और पान भी खाया हुआ मिलता है। माना जाता है कि इन सभी चीज़ों का उपयोग श्रीकृष्ण और राधा द्वारा किया जाता है। देखा गया है कि निधिवन में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है। मान्यता है कि रात में जब श्रीकृष्ण रास रचाने के लिए आते हैं तो ये पेड़ गोपियों का रूप धारण कर लेते हैं और जैसे ही सुबह होती है तो फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाते हैं।

इस वन को रोज़ शाम को खाली करवा दिया जाता है। किसी भी इंसान को इस वन में रात तक रुकने की इजाज़त नहीं है। इसके पीछे एक मान्यता प्रचलित है कि अगर कोई व्यक्ति रात में इस वन में रुकता है तो उसका मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है। इसी कारण रात्रि 8 बजे के बाद पशु-पक्षी, परिसर में दिनभर दिखाई देने वाले बन्दर, भक्त, पुजारी इत्यादि सभी यहां से चले जाते हैं और परिसर के मुख्यद्वार पर ताला लगा दिया जाता है। 

मान्यताओं के अनुसार निधिवन में जो 16000 आपस में गुंथे हुए वृक्ष हैं। कहा जाता है कि यही रात में श्रीकृष्ण की 16000 रानियां बनकर उनके साथ रास रचाती हैं। 
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Jyoti

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