आप भी हो सकते हैं अमर, बस उठाना होगा ये रिस्क

Tuesday, Oct 10, 2017 - 09:21 AM (IST)

यह तब की बात है जब सिकंदर ने अपने बल के दम पर सारी दुनिया में धाक जमा ली थी। इसके बाद वह अमर होना चाहता था। उसने पता लगाया कि कहीं ऐसा जल है जिसे पीने से व्यक्ति अमर हो सकता है। सिकंदर उस जल की तलाश में निकल पड़ा। काफी दिनों तक देश-दुनिया में भटकने के बाद आखिरकार उसने वह जगह पा ही ली, जहां उसे अमृत की प्राप्ति होती। 


वह उस गुफा में प्रवेश कर गया, जहां अमृत का झरना था। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि जिस चीज को पाने के लिए वह वर्षों से सोच रहा था, वही अमृत जल कलकल करके उसके सामने बह रहा था। उसने जल पीने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि एक कौवे की आवाज आई। वह कौवा गुफा के अंदर ही बैठा था। कौवा जोर से बोला, ‘‘ठहर, रुक जा, यह भूल मत करना।’’


सिकंदर ने कौवे की तरफ देखा। वह बड़ी दुर्गति की अवस्था में था। पंख झड़ गए थे, पंजे गिर गए थे, अंधा भी हो गया था, बस कंकाल मात्र ही शेष रह गया था। सिकंदर ने कहा, ‘‘तू रोकने वाला कौन होता है?’’


कौवे ने उत्तर दिया, ‘‘मेरी कहानी सुन लो, मैं अमृत की तलाश में था और यह गुफा मुझे भी मिल गई थी। मैंने अमृत पी लिया। मैं मर नहीं सकता, पर मैं अब मरना चाहता हूं। एक बार मेरी हालत देख लो, फिर उसके बाद यदि इच्छा हो तो अवश्य अमृत पी लेना। अब मैं चिल्ला रहा हूं कि कोई मुझे मार डाले लेकिन मुझे मारा भी नहीं जा सकता। अब परमात्मा से प्रार्थना कर रहा हूं कि प्रभु मुझे मार डालो। मेरी एक ही आकांक्षा है कि किसी तरह मर जाऊं।’’


कौवे की बात सुनकर सिकंदर देर तक सोचता रहा। सोचने के बाद फिर बिना अमृत पिए चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया। वह समझ चुका था कि जीवन का आनन्द उस समय तक ही रहता है, जब तक हम उस आनन्द को भोगने की स्थिति में होते हैं इसलिए स्वास्थ्य की रक्षा कीजिए। जितना जीवन मिला है, उस जीवन का भरपूर आनन्द लीजिए।

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