योगिनी एकादशी 2019: इस कथा को पढ़ने व सुनने से ही मिलेंगे ढेरों लाभ

punjabkesari.in Thursday, Jun 27, 2019 - 04:54 PM (IST)

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ये बात तो सब जानते ही हैं कि योगिनी एकादशी इस बार 29 जून, दिन शनिवार को पड़ रही है। विष्णु पुराण के अनुसार यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ पीपल की पूजा का भी विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि हर व्यक्ति को दोनों पक्षों यानि कृष्ण व शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का पालन करना चाहिए। क्योंकि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सारे पापों का नाश होता है और 88 हजार ब्राह्मणों को दान के बराबर फल मिलता है। लेकिन अगर आप किसी कारण वश व्रत नहीं कर पा रहे हैं तो इस दिन व्रत कथा को पढ़ने या सुनने से ही अनेकों लाभ प्राप्त हो सकते हैं। 
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धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि भगवन कृपया आषाढ़ कृष्ण एकादशी की कथा सुनाइए। इसका नाम क्या है? माहात्म्य क्या है? यह भी बताइए। श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे राजन! आषाढ़ कृष्ण एकादशी का नाम योगिनी है। इसके व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यह इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति देने वाली है। यह तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। मैं तुमसे पुराणों में वर्णन की हुई कथा कहता हूं। ध्यानपूर्वक सुनो।
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स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह भगवान शिव का भक्त था। जिसके यहां हेम नाम का माली पूजा के लिए फूल लाया करता था। हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर पत्नी थी। एक दिन वह मानसरोवर से फूल लेकर तो आ गया, लेकिन काम की भावना में पड़ने के कारण वह अपनी पत्नी के साथ आनंद की प्राप्ति में रम गया। इधर पूजन में देरी होता देख राजा ने अपने सेवकों को उस माली के न आने का कारण जानने के लिए भेजा।

सेवकों ने आकर राजा को पूरी घटना बता दी। यह सुनकर राजा कुबेर बहुत अधिक गुस्से में आ गए और माली को श्राप दिया कि “तू स्त्री वियोग से दुखी होकर धरती पर जाकर कोढ़ी बनेगा।”
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इस श्राप से हेम माली उसी वक्त धरती पर गिर गया। जिसके बाद वह कोढ़ी बन गया। धरती पर बहुत दिनों तक हेम माली कष्ट भोगता रहा और उसे पूर्व जन्म की बातें भी भूल गई। एक दिन वह घूमते हुए मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा। उसे देखकर मार्कण्डेय ऋषि बोले- ‘तू ऐसा कौन सा पाप किया है जिस कारण तुम्हें ऐसा कष्ट भोगना पड़ रहा है।’ 
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हेम माली ने ऋषि को पूरी बात सुनाई। उसकी व्यथा सुनकर मार्कण्डेय ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। जिसके बाद हेम माली ने पूरे विधि-विधान से इस एकादशी व्रत का पालन किया। इस व्रत के प्रभाव से वह अपनी पुरानी अवस्था में आ गया और अपनी पत्नी के साथ सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा। भगवान कृष्ण ने कहा- हे राजन! यह योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है। इसके व्रत से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और अंत में स्वर्ग प्राप्त होता है।


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