यंत्र-मंत्र-तंत्र द्वारा शनि देव को करें प्रसन्न, दरिद्र भी बन जाएगा राजा

Saturday, Feb 17, 2024 - 12:06 PM (IST)

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Yantra mantra tantra: शनिदेव भगवान सूर्य के पुत्र हैं।  शनिदेव के पराक्रम से मनुष्य तो क्या देवी-देवता भी घबराते हैं। शनिदेव के पराक्रम एवं वीरता से प्रलयनाथ भगवान शंकर बहुत ही प्रभावित थे। उन्होंने शनिदेव को अपना एक प्रिय शिष्य स्वीकार किया और उन्हें पतित प्राणियों को दंड देने का कार्य सौंपा। भगवान शंकर ने उन्हें यह भी आशीर्वाद दिया कि उनकी कुदृष्टि से पड़कर कोई भी सकुशल नहीं रह सकता और सुंदर दृष्टि से सभी लाभान्वित होंगे। तभी से शनि महाराज की कुदृष्टि से कोई भी बच नहीं पाता है और उनकी कृपा-दृष्टि हो तो दरिद्र भी राजा समान सुख प्राप्त कर सकता है। प्राय: जीवन में सभी को एक बार तो शनि की कुदृष्टि का कोप भाजन बनना पड़ता है। अत: आवश्यक है कि समय से पहले ही शनि को मनाया जाए, रूठे शनि को प्रसन्न करने का प्रयत्न किया जाए और यह संभव है यंत्र-मंत्र-तंत्र द्वारा शनि प्रकोप का शमन।

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इस यंत्र का विधिपूर्वक अर्चन कर गले या बाजू में बांधने से न सिर्फ धन का लाभ होता है, बल्कि शनिदेव भगवान भी प्रसन्न रहते हैं और उनकी कृपा-दृष्टि बनी रहती है। निम्रलिखित यंत्र को एक कागज पर हू-ब-हू बना लें और अपने घर में बने पूजा घर में रात-भर रख दें। प्रभात होने पर धूप, दीप, गंध, दिखाकर यंत्र को एक कपड़े से ताबीज बनाकर गले या बाजू में धारण करने से असीम लाभ होता है एवं शनिदेव भगवान की कृपा-दृष्टि भी बनी रहती है।

शनि की साढ़ेसाती एवं ढैया के दोष निवारण के लिए पुरुषाकार तांत्रिक शनि यंत्र सैंकड़ों वर्षों से उपयोग में लाया जा रहा है। यह यंत्र और हर बार इस यंत्र ने अपनी उपयोगिता सिद्ध की है। भारतीय महर्षियों द्वारा शनि पीड़ित समाज को एक वरदान है यह यंत्र। मिथुन, कर्क, सिंह, धनु एवं मेष राशि के व्यक्तियों को सलाह दी जाती है कि वे इस यंत्र को सदैव अपने साथ रखें। चाहे अपनी शर्ट की जेब में, बटुए में अथवा बैग आदि में। इस यंत्र के उपयोग से आपकी मति भ्रमित होने से बच सकेगी।

यहां बताया जा रहा यंत्र शनिवार के दिन भोजपत्र पर गुलाब जल मिलाकर बनाई गई काली स्याही से लिखकर विधि-विधानपूर्वक इसको प्रतिष्ठित कर पूजा अर्चना करें एवं इस कार्य के समय लोहे के बने दीपक में सरसों का तेल डालकर जलता रखें। इसके साथ ही शनि मंत्र या स्तोत्र आदि का जाप एवं पूजा करते रहें। यंत्र को काले कपड़े में लपेट कर भुजा में बांधें अथवा काले कपड़े के छोटे से टुकड़े में लपेट कर ताबीज से भरकर भुजा पर बांधें।

लोहे या टीन के पत्तर पर काले पेंट से यह यंत्र बनाकर प्रतिदिन इसके सामने मीठे तेल का दीपक जलाकर शनि की पूजा करें। प्रत्येक शनिवार को यंत्र पर तेल भी चढ़ाएं। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं, सुख-शांति प्राप्त होने लगती है।

काले रंग के घोड़े की नाल अथवा नाव में लगी हुई पुरानी कील को गलाकर बनाए गए लोहे के पतरे पर यह यंत्र बनाकर पहनने से तत्काल लाभ होता हैं।

यदि यंत्र को धातु पर बनवाने में समय लग रहा हो तो या कारीगर मिलने तक के समय में आप इस पुस्तक में संलग्र पुरुषाकार यंत्र के कागज को निकाल कर श्रद्धाभाव से काले कपड़े में लपेट कर अपने पास रखें।

शनि पंचदशी यंत्र
जब किसी को वाहन दुर्घटना हो, घर का बंटवारा व उसमें झगड़ा हो, नेत्र खराब हो जाए या नेत्र शक्ति क्षीण हो जाए या कारोबार बंद हो जाए तो इस शनि पंचदशी यंत्र का प्रयोग करना चाहिए। इसे शनिवार के दिन लिखकर विधिवत धारण करना चाहिए।

काजल को तनिक से तेल में मिलाकर इससे बनी स्याही से सफेद कागज पर निम्रलिखित 33 का यंत्र शनिवार की रात्रि में लिख लें। काले तिल, उड़द और तेल से यंत्र की पूजा करें।

फिर यंत्र पर यह चीजें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रख कर पोटली-सी बनाकर शनि पीड़ा ग्रस्त व्यक्ति के सिर से पैर तक सात बार उतारकर किसी नदी या जलाशय में यंत्र को डाल दें। विसर्जित करते समय शनिदेव को प्रणाम करें। यह क्रिया ग्यारह शनिवारों तक करें।

शनिदेव की सिद्धि के लिए बहुत से जातक प्रयासरत रहते हैं लेकिन यहां एक ऐसा मंत्र बता रहे हैं, जिसके प्रयास से मनोकामना पूर्ण होने की पूरी संभावना रहती है।

ॐ श्री शनिदेवाय: नमो: नम:।
ॐ श्री शनिदेवाय : शांति भव:।
ॐ श्री शनिदेवाय: शुभम फल:।
ॐ श्री शनिदेवाय: फल: प्राप्ति फल:।


इस मंत्र के निरंतर जप से श्री शनिदेव भगवान घर में, व्यापार में शांति स्थापित करते हैं और प्रसन्न रहते हैं। अत: इस मंत्र को प्रयोग में लाना अति शुभ है।

Niyati Bhandari

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