यमुना नदी ने बनाया दिल्ली को महानगर, जानिए इसका दिल्ली से संबंध

Friday, Feb 05, 2021 - 02:22 PM (IST)

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हमारे धार्मिक ग्रंथों में भारत देश से जुड़े लगभग हर शहर का वर्णन है। क्योंकि प्रत्येक जगह किसी न किसी तरह से देवी देवता से संबंधित है। अगर बात करें दिल्ली की तो इसका इतिहास सदा महानगर का रहा है। प्राचीन काल में इंद्रप्रस्थ से लेकर वर्तमान में देश की राजधानी होने तक दिल्ली नगर सदा प्रमुख रहा है। आप में से बहुत से लोग जानते होंगे कि दिल्ली को देश का दिल कहा जाता है। मगर इसको देश का दिल बनाने में किसका सबसे अधिक योगदान रहा है, इस बारे में शायद ही लोग जानते हो। तो आपको बता दें इसमें सबसे अधिक योगदान रहा है ईशान कोण में बहने वाली यमुना नदी का। जी हां, बताया जाता है दिल्ली को प्रमुख शहर के दर्जे की स्थिति दिलवाने में सबसे अधिक महत्वपूर्ण योगदान यमुना नदी का रहा है। बताया जाता है यमुना नदी दिल्ली के उत्तर-पूर्व में बहते हुए आगे बढ़ती है। अगर वास्तु शास्त्र की मानें तो उसमें इस स्थिति को अधिक शुभ माना जाता है। क्योंकि उत्तर पूर्व को ही ईशाण कोण कहा जाता है। इसमें बड़े जल स्त्रोत के बहाव के चलते ही दिल्ली को सदा प्रमुख शहर की मान्यता मिलती है।

वर्तमान समय में दिल्ली देश की राजधानी है। परंतु धार्मिक कथाओं के अनुसार देश महाभारत काल में दिल्ली इंद्रपस्थ के नाम से विख्यात थी, जो पांडवों की राजधानी हुआ करता था। इतिहास के मुताबिक प्राचीन काल में मुगलों और अन्य शासकों ने भी दिल्ली पर कब्जा कर देश पर राज्य किया। तो वहीं अंग्रेज भी सन् 1911 में देश की राजधानी कोलकाता से दिल्ली ले आए थे।

बताया जाता है प्राचीन समय में नगरों व गावों को नदियों के किनारे पर बसाया जाता था, ताकि जलस्त्रोत की पर्याप्तता बनी रहे। आज भी देश के कई प्रमुख शहर जैसे मथुरा, काशी, उज्जैन, हरिद्वार व अन्य कई शहर नदियों के किनारे पर बसे हैं।

परंतु कहा जाता है इस सभी में सबसे बेहत बसाहत दिल्ली की है, लाल किला यमुना के दक्षिण-पश्चिम में निर्मित है। जिस पर चार दशक से भी ज्यादा शासन चलाया गया। तो वहीं न केवलप प्राचीन समय में बल्कि वर्तमान समय में भी राजधानी दिल्ली के प्रमुथ भवन नदी के दक्षिण पश्चिम में ही है, जिससे दिल्ली का दर्जा सदैव बढ़त पर रहता है।
 
कहा जाता है ईशान कोण में स्वच्छ जल के बहाव का नियम है, यमुना नदी जितनी साफ रहेगी, ये दिल्ली के लिए उतनी ही अधिक हितकारी होगा। बता दें उज्जैन भी दिल्ली जितना ही पुराना शहर माना जाता है। परंत चूंकि यहां क्षिप्रा नदी दक्षिण-पश्चिम में बहती हैं। जिसे शुभ संयोग नहीं माना जाता है। यही कारण है कि उज्जैन ख्यातिलब्ध होकर भी विशाल नगर की सूची में शामिल नहीं हो सका।

 

Jyoti

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