Kundli Tv- नवरात्र के पांचवे दिन इस तरह करें स्कंदमाता की पूजा

Saturday, Oct 13, 2018 - 04:34 PM (IST)

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नवरात्र की पंचमी पर स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है। भगवान स्कन्द की माता होने के कारण इन्हें स्कन्द माता कहते हैं। स्कन्द का एक नाम कार्तिकेय भी है। यह प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। उन्होंने देवताओं के शत्रु ताड़कासुर का वध किया था। इनके विग्रह में स्कन्द जी बालरूप में माता की गोद में बैठे हैं। स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। ये दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है, उसमें कमल-पुष्प लिए हुए हैं। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है। 

नवरात्र के पांचवें दिन करें ये उपाय-
शास्त्रों के अनुसार स्कंदमाता की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। देवी को अंगराग और आभूषणों से सजाएं। 

स्कंदमाता की उपासना से दुखों का नाश होता है और तेज में बढ़ोतरी होती है।

मनोकामना पूर्ति के लिए आज से दुर्गा चालीसा का पाठ करना शुरू करें और 40 दिन तक करें।

संतान की सफलता के लिए स्कंदमाता पर मेहंदी चढ़ाएं।

बुद्धिबल वृद्धि के लिए देवी स्कंदमाता पर 6 इलायची चढ़ाकर सेवन करें। सामाग्री चढ़ाते समय "ब्रीं स्कन्दजनन्यै नमः" का जाप करें। 

ॐ स्कन्दमात्रे नमः मंत्र का जाप करें। इस मंत्र के प्रभाव से असाध्य रोग ठीक होते हैं। गृहक्लेश से मुक्ति मिलती है। जिन व्यक्ति की आजीविका का संबंध प्रशासन मैनेजमैंट, कमर्शियल सर्विसेज, वाणिज्य विभाग, बैंकिंग क्षेत्र अथवा व्यापार (बिजनैस) से है उन्हें उत्तम फल मिलता है।


उपासना मंत्र का जाप भी किया जा सकता है-
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
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Niyati Bhandari

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