World Environment Day: गुरु नानक देव जी ने 7 शब्दों में समझाया पर्यावरण का महत्व

Wednesday, Jun 05, 2019 - 10:11 AM (IST)

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यह सिर्फ एक इत्तेफाक ही है कि हम विश्व पर्यावरण दिवस उसी साल मना रहे हैं जब गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व भी पूरी दुनिया में बहुत श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। गुरु नानक देव जी ने अपनी बाणी के जरिए इंसान को कुदरत में समाने का जो संदेश दिया है। उसका विकल्प रहती दुनिया तक पैदा नहीं हो सकता। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पहले श्लोक के 7 अक्षर ही ग्लोबल वार्मिंग का पक्का समाधान करने में सक्षम हैं। इसे दुनिया चाहे आज मान ले या चाहे कल माने। धरती का सीना ठंडा करने के लिए इन्हीं 7 अक्षरों में से होकर गुजरना पड़ेगा। पहले श्लोक के ये 7 अक्षर हैं- 

गुरु साहिब की बाणी के 7 शब्दों में ही पूरा कायनात का सच है। इन शब्दों में हवा को गुरु माना गया है जबकि पानी को पिता व धरती को मां का दर्जा दिया गया है। इन शब्दों में से दुनिया में बसने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए कोई शब्द बेगाना नहीं है। यदि इतने आसान शब्द भी हम नहीं समझेंगे तो फिर प्रकृति के साथ हमारी नजदीकी कैसे बनेगी। हमें जहां खुद को कुदरत के साथ फिर से जोडऩा पड़ेगा वहीं आने वाली पीढिय़ों को भी कुदरत का सम्मान करने व कुदरत के अनुकूल चलने की शिक्षा देनी पड़ेगी।

यह गुरु नानक देव जी ही थे जिन्होंने बली कंधारी के अहंकार को चुनौती देते हुए संदेश दिया था कि पानी पर सबका अधिकार है। गुरु नानक देव जी का यह संदेश पानियों पर एकाधिकार जमाने वालों के लिए भी एक सबक है कि कुदरत की अनमोल देन पानी पर सबका समान अधिकार है और सबके लिए है। बाबा नानक का सरबत का भला तो इस धरती पर रहने वाले सभी जीवों के लिए हैं, हम न तो बाबा जी की बात मान रहे हैं और न ही उनकी बाणी पर अमल कर रहे हैं। लालच में आकर हमने 4 दशकों में ही अपनी धरती मां को एक दहकती हुई भट्ठी में तबदील कर दिया है। अमृत जैसे बहते दरियाओं में जहर घोल दिया है, पर हवा को सांस लेने लायक नहीं छोड़ा। 

पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए दुनिया भर के देश चिंतन करते आ रहे हैं और इसके बावजूद पर्यावरण का लगातार दूषित होना चिंता की बात है। भारत में पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए कानून है लेकिन इस कानून को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा रहा। पर्यावरण के प्रदूषण से सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों पर भी असर नहीं होता बल्कि इसका प्रभाव मनुष्य की मानसिकता पर भी पड़ता है। भ्रष्टाचार, नैतिकता, मनुष्य का खुद से टूट जाना, सामाजिक कीमतों में गिरावट व मानसिक बीमारियां इस बढ़ रहे प्रदूषण की ही देन है क्योंकि कहा जाता है कि जैसा अन्न, वैसा मन, जैसा दुध, वैसी बुध, जैसा पानी, तैसा प्राणी, भोजन पानी व दूध का सीधा असर बुद्धि पर पड़ता है। हमारे ये भोजन पूरी तरह दूषित हो चुके हैं। 

बाबे नानक के 550वें प्रकाश पर्व पर दुनिया भर के लोगों ने सुल्तानपुर की धरती पर नतमस्तक होने के लिए आना है। कम से कम इस नगरी को पर्यावरण की दृष्टि से इतनी खूबसूरत बना दें कि यहां पर आने वाली संगत पर्यावरण का संदेश लेकर जा सके। जुलाई 2000 से लगातार पवित्र काली बेईं की अपने हाथों से सेवा की है और सबके संयुक्त प्रयासों से यह साफ हुुई बेईं सबके लिए एक मिसाल बन गई है। बेईं की कारसेवा ने गुरबाणी के इस महा वाक को पूरी तरह सार्थक किया है।
 
आपण हत्थी आपना आप्पे ही कारज सवारिए

श्री गुरु नानक देव जी ने सुल्तानपुर की धरती से जो संदेश सरबत के भले के लिए दिया था उसे सार्थक करने का समय आ गया है। आओ अपने इर्द-गिर्द की नदियों व दरियाओं में गंदगी पैदा होने से रोकें। ज्यादा से ज्यादा पौधे लगा कर इस धरती को सांस लेने लायक बनाएं ताकि हम आने वाली पीढिय़ों के लिए इस धरती को रहने लायक बना सकें। 

Niyati Bhandari

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