Hindu Shastra: ‘स्त्री है पूजन की अधिकारी’

Tuesday, Jul 26, 2022 - 02:12 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू शास्त्रों में स्त्री को पूजनीय माना जाता है। तो वहीं बदलते समय और दौर के साथ समाज में इसकी खूबियों और उपलब्धियों के अपनाना शुरु कर दिया है। दिन भर दिन हमारे समाज में महिलाएं प्रगति कर रही है। हाल ही की बात करें तो द्रौपदी मुर्मू भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने वाले जनजातीय समुदाय से संबंधित पहली महिला व्यक्ति हैं। आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं, हम इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं स्त्री की महत्वता के बारे में। हमारे हिंदू धर्म के शास्त्रों में स्त्री की केवल महत्वता के बारे में वर्णन किया है बल्कि स्त्री को पूजन की अधिकारी माना गया है। 

आईए जानते हैं-

दुर्गा का स्मरण करते ही शक्ति का, लक्ष्मी से धन-वैभव, सरस्वती से विद्या और सीता से सहिष्णुता का आदर्श ध्यान में आता है। भारतवर्ष में जो कुछ पवित्र है, पावन है, उन सबका सीता शब्द से बोध हो जाता है। तभी तो कुलवधू को आशीर्वाद देते हुए कहते हैं कि सदा सुहागिन रहो। पतित पावन गंगा हो या शक्ति की प्रतीक दुर्गा, धन की देवी लक्ष्मी हो या फिर विद्या की देवी सरस्वती, शांत सीता हो या संहार करने वाली काली...सभी हमें बहुत कुछ सिखाती हैं।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें

शिव के अर्द्धनारीश्वर रूप में नर-नारी की महत्ता हमारी संस्कृति की विरासत है। ऋषिगण आचार्य वशिष्ठ की पत्नी अंरुधति के पास जाकर धर्म संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाते थे। वेद-पुराण, रामायण-महाभारत जैसे ग्रंथों की प्रासंगिकता आज के संदर्भ में पुन: जीवंत होने का रहस्य यही है। विश्व के सभी महान लोग इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि केवल व्यक्ति ही नहीं बल्कि समाज का विकास भी स्त्री शक्ति की प्रतिष्ठा से ही संभव है। 

फारसी के एक कवि ने लिखा है, ‘‘जरे कदमे वाल्दा, फिरदौसे वरी।’ 

अर्थात मां के चरणों के नीचे ही स्वर्ग है। इसमें मां के महत्व को रेखांकित किया गया है। यहूदी भाषा में एक कहावत है कि प्रभु प्रत्येक स्थान पर उपस्थित नहीं हो सकता इसलिए माताओं को भेज देता है। यह स्त्री के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति है। -पं. शशिमोहन बहल
 

Jyoti

Advertising