एक ही दिन में पाना चाहते हैं पूरे सावन का फल, तो कल कर लें ये काम

Sunday, Aug 11, 2019 - 12:16 PM (IST)

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देवों के देव महादेव को समर्पित सावन का महीना अपने आख़िरी चर्म पर आ चुका है। कल यानि 12 अगस्त 2019 को इस साल के श्रावण माह का आख़िरी सोमवार पड़ रहा है। ये पूरा माह भगवान शंकर की आराधना के लिए बहुत शुभ होता है। वैसे तो हर शिव भक्त इस दौरान यही कोशिश करता है वो  जितनी हो सके उतनी भोलेनाथ की पूजा करें। मगर कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो चाहकर इनकी पूजा नहीं कर पाते। तो बता दें आज का हमारा ये आर्टिकल उन्हीं लोगों के लिए है। जो लोग इस पावन महीने में भगवान शंकर की पूजा नहीं कर पाए और इस कारण से उदास हैं तो बता दें कि उन्हें परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है। क्योंकि हम आपको कुछ ऐसे ज्योतिष उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें अगर आप न सावन के आख़िरी सोमवार कर लिया तो आपको एक ही दिन में सारे महीने की पूजा का फल मिल जा। आइए अधिक देर न करते हुए जानें क्या है ये ज्योतिष उपाय-

श्रावण के अंतिम सोमवार करें ये उपाय-
सावन के आख़िरी सोमवार के दिन मिट्टी या अन्य धातु के निर्मित शिवलिंग को घर में या किसी मंदिर में प्रतिष्ठित करें व इसकी विधि-पूर्वक पूजा करें। इससे आपके व्यापार में वृद्धि और नौकरी में तरक्की होगी।

सोमवार को स्फटिक के शिवलिंग का शुद्धजल, गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें और फिर धूप-दीप जलाकर शिव जी के मंत्रों का जाप करें, इससे आपकी समस्त बाधाएं खत्म हो जाएंगी।  समस्त बाधाओं का नाश होता है।

इस पावन दिन भोलेनाथ के साथ-साथ उनकी अर्धांगिनी देवी पार्वती का षोडषोपचार पूजन करें। घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।

कहा जाता है सावन के पूरे माह में शिव जी के समेत उनका पूरा परिवार प्रसन्न रहता है, बल्किइ इनके गण भी पूरे सावन में प्रसन्न रहते हैं। तो अगर आप एक ही बार में इन्हें प्रसन्न कर चाहते हैं तो सावन के आख़िरी सोमवार को शिव परिवार की पूजा करें। जीवन में किसी भी चीज़ का अभाव नहीं रहता।

इसके अलावा जानलेवा बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए रुद्राक्ष की माला से सोमवार को महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।

महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।।

शिव जी के अन्य मंत्र-

।। ॐ नमः शिवाय ।।

।। ॐ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ॐ ।।

।। ॐ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ॐ ।।

।। ॐ श्रीं ऐं ॐ ।।

ॐ हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी कान्तकांता सुदुर्लभाम।।

।। ॐ साम्ब सदा शिवाय नम: ।।
 

Jyoti

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