न केवल अध्यात्म बल्कि वैज्ञानिकों ने भी माना दीपक जलाने के हैं ढेरों लाभ

punjabkesari.in Monday, Dec 18, 2023 - 10:06 AM (IST)

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Significance of a Deepam Diya Deepak: इस विश्व में दीपक ही एक मात्र ऐसा साथी है, जो जन्म से लेकर मृत्यु तक साथ निभाता है। प्राय: सभी साधक अपनी दैनिक पूजा में दीपक प्रज्वलित करते हैं और दीपक के द्वारा भगवान की आरती उतारते हैं, किंतु वास्तव में दीपक ज्योति एवं आरती का तात्विक रूप क्या होगा, जिसके आधार पर प्रत्येक पूजा में इसकी अनिवार्यता हमारे ग्रंथों मे प्रतिपादित की गई है इसी संदर्भ में कुछ विवेचन प्रस्तुत है।

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भो दीप ब्रह्मारूप स्त्वं, अंधकार निवारक: इमां मया कृतां पूजा, गृहृस्तेज: प्रवर्धय।।

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Importance Of Deepak In Hindu Dharm: गीता के अनुसार ब्रह्मा का प्रकाश इतना तेज है, जिसके सामने एक हजार सूर्यों का प्रकाश भी कम पड़ता है। इस कारण साधारण चक्षुओं से कोई मानव उसके दर्शन करने में सक्षम नहीं है। भौतिक, व्यावहारिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से यह प्रमाणित है कि सूर्य का प्रकाश प्रत्येक जड़ एवं चेतन में समाया हुआ है। दीपक में हम इसी तेल, घी और रुई का प्रयोग करते हैं।
दीपक के इस प्रकाश में सूर्य का तेज एवं अग्रि तत्व अवतरित होता है। सूर्य के तेज एवं प्रकाश में ब्रह्म प्रकाश होता है। अत: प्रत्येक साधक को दीपक का दर्शन ब्रह्म भाव से ही करना चाहिए।

What are the effects of  Deepak: दीपक में सत्, तम एवं रज का समन्वय है। दीपक धवल प्रकाश तेज (सत) और श्याम वर्ण अंधकार (तम) का सम्मिश्रण होता है। दीपक के जलते ही अंधकार को प्रकाश (तेज) अपने में लीन कर लेता है। इस प्रकार धवल (सत) एवं श्याम वर्ण (तम) के मिश्रण  से लौ में पीलापन आ जाता है।

Scientific effects of deepak: वैज्ञानिकों के अनुसार दो रंगों के मिलने से ही तीसरा रंग बदलता है। अर्थात दीपक की लौ में पीलेपन की झलक (सत् + तम) के दर्शन होते हैं। दीपक की लौ से यही तम धुआं रूप में निरंतर निकलता रहता है। इसके पश्चात अपनी दृष्टि लौ की जड़ में डालिए तो वहां हल्के नीले रंग की आभा दिखाई देगी। वही तीसरा तत्व रज है। इस प्रकार दीपक की लौ में हमें सत्, तम, रज तीनों तत्वों के दर्शन हो जाते हैं।

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What is Deepak spirituality: यह सत्य है कि पंचभूतों (आकाश, पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि) का नियामक सूर्य ही है तथा यही हमारे शरीर के पंचभूतों का नियामक है। सूर्य दर्शन  का उद्देश्य यह निवेदन है कि सूर्य मेरे शरीर में विद्यमान आपके इन्हीं पंच भूतों को नियंत्रित कर स्वास्थ्य लाभ की कृपा करें।

दीपक भगवान सूर्य का प्रतिरूप है। परमात्मा आभा रूप में हम सब में विद्यमान है तथा उसके प्रकाश की एक ज्योति हमारे ललाट में स्थित है और हमें जीवन दान कर रही है।

Why are lightning strikes more powerful than negative: इस ज्योति के निकल जाने पर हम मृतक हो जाते हैं। इस ज्योति का प्रकाश हमारे भीतर सदैव व्याप्त रहता है। साधारणजन में काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार अपनी-अपनी सीमाओं को पार कर अंधेरे का रूप हमारे भीतर छा जाते हैं और आत्म प्रकाश को उसी प्रकार रोक देते हैं जैसे सूर्य के प्रकाश को बादल। इस तमस से मुक्ति पाने का एक ही उपाय है कि हम दीपक के प्रकाश को आत्म प्रकाश से कुछ समय के लिए जोड़े रहें ताकि प्रकाश का पुंज और तेज होकर कोहरे को पार करते हुए हमारे भीतर को प्रकाशित कर सके।

इससे हमारी भीतरी क्षमता बढ़ेगी और काम, क्रोध, लोभ आदि पर नियंत्रण करने में सक्षम हो जाएगी तथा एक समय हमारा समूचा अंतरंग आत्म प्रकाश से प्रकाशित हो जाएगा जो हमारे जीवन की धारा की दिशा को सही मार्ग की ओर ले जा सकेगा।

दीपक में ब्रह्म प्रकृति दोनों के दर्शन होते हैं। दीपक की रुई जड़ है तो तेल अथवा घी चेतन। जब रुई और तेल/घी को मिला प्रकाश युक्त कर दिया जाता है तो अंधकार दूर हो जाता है। चेतना घी एवं तेल के भीतर सूक्ष्म रूप में समाई होती है तथा दीपक के जलाने पर ही उससे हमारा प्रभु से साक्षात्कार होता है।  

 

 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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