Kundli Tv- दशहरे पर क्यों पूजे जाते हैं हथियार

Thursday, Oct 18, 2018 - 11:54 AM (IST)

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दशहरा अथवा विजयादशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। इस अवसर पर विभिन्न स्थानों पर बड़े-बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। जगह-जगह रामकथा को नाटकीय रूप में दिखाया जाता है। माता या दुर्गा के भक्त नौ दिनों तक नवरात्रि के व्रत रखते हैं। मां दुर्गा की नौ दिनों तक पूजा करने के पश्चात दशमी के दिन यह त्यौहार मनाया जाता है। दसवें दिन रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। 

दशहरा पूजा विधि
दशहरे के दिन कई जगह अस्त्र पूजन भी किया जाता है। वैदिक हिंदू रीति के अनुसार इस दिन श्रीराम के साथ ही लक्ष्मण जी, भरत जी और शत्रुघ्न जी का पूजन भी करना चाहिए। इस दिन सुबह घर के आंगन में गोबर के चार पिंड मंडलाकार (गोल बर्तन जैसे) बनाएं। इन्हें श्रीराम समेत उनके अनुजों की छवि मानना चाहिए। गोबर से बने हुए चार बर्तनों में भीगा हुआ धान और चांदी रखकर उसे वस्त्र से ढक दें। फिर उनकी गंध, पुष्प और द्रव्य आदि से पूजा करनी चाहिए। पूजा के पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य वर्ष भर सुखी रहता है। 

दशहरा वर्ष की तीन अत्यंत शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो शुभ तिथियां हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करते हैं एवं शस्त्र-पूजा की जाती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। 

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Niyati Bhandari

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