क्यों खंडित मूर्तियों को नदियों में ही किया जाता है विसर्जित ?

Thursday, Jun 13, 2019 - 01:15 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
हिंदू शास्त्र में कहा गया मंदिर और घर के पूजा स्थल में रखी मूर्तियों के खंडित हो जाने पर वहां से हटा देना चाहिए। इसके अनुसार इन्हें जल प्रवाहित कर देना चाहिए। यही कारण है कि लोग देवी-देवताओं की खंडित हो गई प्रतिमाओं के साथ -साथ मंदिर आदि का और भी पुराना और खंडित सामान बड़ी-बड़ी नदियों आदि में विसर्जित कर देते हैं। मगर आख़िर ऐसा क्यों किया जाता है। क्या इससे कोई पौराणिक तथ्य जुड़ा हुआ है। अगर आपके मन में भी ऐसे कई सवाल हैं तो चलिए आज हम आपको इससे जुड़ी जानकारी देते हैं। जिसे जानेंगे के बाद आपकों आपके सभी प्रश्न का उत्तर मिल जाएंगे।

ज्यादातर नवरात्रि और गणपति उत्सव के दौरान लोग अपने घरों में सुंदर-सुंदर प्रतिमा घर लाते हैं। कुुछ दिन इनकी पूजा करते हैं और बाद में किसी नदी या तालाब में ले जाकर इन्हें विसर्जित कर देते है। लेकिन ऐसा क्यों? तो बता दें कि ऐसा इसलिए क्योंकि शास्त्रं में ऐसा करना बताया गया है। कुछ लोगों का मानना होगा कि इसके पीछे कोई धार्मिक कारण नहीं होगा। मगर आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा है देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को जल में ही क्यों विसर्जित कर दिया जाता है। इस प्रश्न का उत्तर शास्त्रों में उल्लेखित है। शास्त्रों के अनुसार जल ब्रह्मा का स्वरूप माना गया है। कहा जाता है कि सृष्टि के आरंभ में और अंत में संपूर्ण सृष्टि में चारों ओर केवल जल ही जल होता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जल बुद्घि और ज्ञान दोनों का प्रतीक माना जाता है। इसके देवता गणपति को माना गया है। जल में ही श्रीहरि का निवास है इसलिए वह नारायण भी कहलाते हैं। माना जाता है कि जब जल में किसी भी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को विसर्जित किया जाता है तो उन देवी-देवताओं का अंश मूर्ति से निकलकर वापस अपने लोक को चला जाता है। कहने का भाव है वो परम ब्रह्म में लीन हो जाता है। यही कारण है कि मूर्तियों और निर्माल को हमेशा जल में विसर्जित किया जाता है।

Jyoti

Advertising