भद्रा में क्यों नहीं बांधनी चाहिए राखी, जानें इस बार कब तक लगेगी भद्रा

Wednesday, Aug 07, 2019 - 08:59 AM (IST)

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हर साल श्रावण की पूर्णिमा के दिन देश के विभिन्न हिस्सों में रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 15 अगस्त यानि जिस दिन देश आज़ाद हुआ था, स्वतंत्रता दिवस के दिन पड़ रही है। ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि इस बार की राखी पर शुभ संयोग बन रहे हैं। इनके अनुसार रक्षा बंधन के चार दिन पहले गुरु मार्गी हो रहे हैं जो इस बार की राखी की शुभता को और बढ़ाएगा। हिंदू पंचांग के मुताबिक 15 अगस्त गुरुवार के दिन नक्षत्र श्रवण, सौभाग्य योग, बव करण, सूर्य राशि कर्क तथा चंद्रमा मकर राशि में रहने वाला है। इस बार के रक्षा बंधन की सबसे खास बात ये है कि इस बार ये पर्व भद्रा के दोष से पूरी तरह मुक्त है। ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि बहुत कम गुरुवार के दिन श्रवण नक्षत्र और सौभाग्य योग का संयोग देखने को मिलता है।

भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक यह त्यौहार हर साल सावन के आख़िरी दिन में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के हाथ में राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई भी  अपनी बहनों की ताउम्र उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।

जैसे कि सब जानते हैं कि हिंदू धर्म में हर प्रकार का शुभ कार्य शुभ मुहूर्त को देखकर ही किया जाता है। ठीक वैसे ही बहनें भी अपने भाई के हाथ में भी राखी अच्छे समय को देखकर ही बांधती हैं। बताया जा रहा है इस बार साल 2019 में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त लंबे समय तक के लिए रहने वाला है। जिसे बहुत बड़ी खासियत कहा जा रहा है क्योंकि कई सालों के बाद ऐसा होगा जब इस दिन भद्रा का साया नहीं है। क्योंकि भद्र काल के दौरान कुछ शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

यहां जानें भद्रा काल को अशुभ माना जाता है-
एक प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार रावण की बहन शूर्पणखा ने उन्हें भद्रा काल में राखी बांधी थी। माना जाता है इसी वजह से ही रावण का विनाश हुआ था अन्यथा रावण का विनाश नहीं होता। इसके अलावा हिंदू समाज में ऐसी कई अन्य कथाएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार जब तक तीन त्रिदेव यानि देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश साथ में मौजूद नहीं होते हैं तो कोई भी पूजा संपन्न नहीं होती। कहा जाता है कि भद्रा काल में भगवान शंकर तांडव कर रहे होते हैं, जिस इस वजह से वे गायब रहते हैं। इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता।


 

Jyoti

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