सूर्य देव के चरणों के दर्शन क्यों नहीं करने चाहिए ?

Sunday, Dec 30, 2018 - 04:34 PM (IST)

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इतना तो सभी जानते हैं कि किसी भी भगवान के दर्शन करने से तन और मन दोनों को शांति मिलती है। उनके दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। हिंदू धर्म में हर देवी-देवता की पूजा का अलग विधान बताया गया है और इन सबके नियम भी अलग ही हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि कुछ देवी-देवताओं के चरणों के दर्शन नहीं किए जाते। जैसे कि राधा रानी के चरणों के दर्शन केवल राधा अष्टमी पर किए जाते हैं। ठीक वैसे ही सूर्य देव के चरणों के दर्शन नहीं किए जाते। इनकी पूजा करते समय भी इनके पैरों के दर्शन नहीं करना चाहिए। तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की उस पौराणिक कथा के बारे में जिसमें इनके पैरों के दर्शनों को अशुभ बताया गया है।

सूर्य देव का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ। सूर्य का रूप परम तेजस्वी था, जिसे देख पाना आंखों के लिए संभव नहीं था। इसीलिए संज्ञा उनके तेज़ का सामना नहीं कर पाती थी। विवाह के कुछ समय बाद देवी संज्ञा के गर्भ से तीन संतानों का जन्म हुआ। जिनके नाम मनु, यम और यमुना हैं। देवी संज्ञा के लिए सूर्य देव का तेज सहन कर पाना मुश्किल होता जा रहा था। कुछ समय बाद संज्ञा ने अपनी छाया को पति सूर्य की सेवा में लगा दिया और खुद वहां से चली गई। कुछ समय बाद जब सूर्य को इस बात का पता चला कि उनके साथ संज्ञा की छाया रह रही है तब उन्होंने संज्ञा को बुलाया और इस तरह छोड़कर जाने का कारण पूछा। संज्ञा ने सूर्य के तेज से हो रही परेशानी के बारे में बता दिया।

देवी संज्ञा की बात को समझते हुए सूर्यदेव ने देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा से निवेदन किया कि वे उनके तेज को किसी भी प्रकार से ठीक कर दें। विश्वकर्मा ने अपनी शिल्प विद्या से एक चाक बनाया और सूर्य को उस पर चढ़ा दिया। उस चाक के प्रभाव से सूर्य का तेज सामान्य हो गया। विश्वकर्मा ने सूर्य के संपूर्ण शरीर का तेज तो कम दिया लेकिन उनके पैरों का तेज कम नहीं कर सके। इसके बावजूद उनके पैरों का तेज असहनीय हो गया। इसी वजह सूर्य के चरणों का दर्शन वर्जित कर दिया गया। ऐसा माना जाता है कि सूर्य के चरणों के दर्शन से दरिद्रता प्राप्त होती है, पाप बढ़ते हैं और पुण्य कम होते हैं।

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