आखिर कौन सी थी वो वजह जिसके कारण शनिदेव को मिला अपनी पत्नी से श्राप

Saturday, Dec 29, 2018 - 12:03 PM (IST)

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आज के समय में शनिदेव को एक क्रूर ग्रह के रूप में जाना जाता है। इनकी दृष्टि विनाशकारी मानी जाती है। लेकिन शास्त्रों में शनि को न्याय प्रिय देवता बताया गया है। मान्‍यता है कि शन‍िदेव किसी भी तरह के अन्‍याय या गलत बात को बर्दाश्‍त नहीं करते और ऐसा करने वाले को उनके गुस्‍से का श‍िकार होना पड़ता है। उनके जन्‍म को लेकर भी अलग-अलग मान्‍यताएं हैं। तो आज हम आपको बताएंगे कि कैसे इनकी पत्नी ने इन्हें श्राप दिया था।


शनिदेव भगवान सूर्य तथा छाया के पुत्र हैं। ब्रह्मपुराण के अनुसार बचपन से ही शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे। बड़े होने पर इनका विवाह चित्ररथ की कन्या से किया गया। इनकी पत्नी सती-साध्वी और परम तेजस्विनी थीं। एक बार पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से वे इनके पास पहुचीं पर शनि श्रीकृष्ण के ध्यान में मग्न थे। शनि की पत्नी ने बहुत प्रतीक्षा की और अंत में थक गई तब क्रोधित हो उसने अपने पति शनि को श्राप दे दिया कि आज से तुम जिसे देखोगे वह नष्ट हो जाएगा। ध्यान टूटने पर जब शनिदेव ने अपनी पत्नी को मनाया और समझाया तो पत्नी को अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ, किन्तु श्राप को खत्म करने की शक्ति उसमें ना थी। तभी से शनिदेव अपना सिर नीचा करके रहने लगे।


क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनके द्वारा किसी का बुरा हो। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि रोहिणी-शकट भेदन कर दें तो पृथ्वी पर 12 वर्ष का अकाल पड़ जाए और प्राणियों का बचना मुश्किल हो जाए। कहते हैं कि ये योग राजा दशरथ के समय में आने वाला था। जब ज्योतिषियों ने राजा को इस बारे में बताया तो प्रजा को बचाने के लिए दशरथ नक्षत्र मण्डल में पहुंच गए। वहां जाकर पहले उन्होंने शनिदेव को प्रणाम किया फिर पृथ्वी वासियों की भलाई के लिए क्षत्रिय धर्म के अनुसार युद्ध का आह्वान किया। शनिदेव उनकी कर्तव्यनिष्ठा से परम प्रसन्न हुए और वर मांगने को कहा। राजा दशरथ ने वर मांगा कि जब तक सूर्य, नक्षत्र आदि विद्यमान हैं, तब तक आप शटक-भेदन ना करें। शनिदेव ने उन्हें ये वर देकर संतुष्ट कर दिया। शनि के अधिदेवता प्रजापति ब्रह्मा और प्रत्यधिदेवता यम हैं।

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