क्यों राहु को माना जाता है अशुभ ग्रह?

Monday, May 13, 2019 - 11:52 AM (IST)

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हिंदू पंचांग में राहु व केतु का जिक्र किया जाता है। ज्योतिषयों के अनुसार राहु, केतु काल के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। क्योंकि ऐसा माना गया है कि अगर आप इस दौरान कोई भी काम करते हैं तो वह पूरे नहीं होते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार राहु को नवग्रहों में से एक माना जाता है और साथ ही ये सबसे क्रूर ग्रह के रूप में जाना जाता है। लेकिन क्या किसी को इसके बारे में पता है कि इसे सबसे अशुभ ग्रह क्यों माना जाता है। अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे।  

ज्योतिष गणना के मुताबिक राहु को नवग्रहों में से एक माना गया है। इसके बारे में शास्त्रों में एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार राहु की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी। जैसे कि सब जानते होंगे कि जब समुद्र मंथन हुआ तो जब उसमें से अमृत निकला तब वहां असुरों व देवताओं के बीच अमृत के लिए लड़ाई शुरु हो गई। हेवताओं के हित के लिए भगवान विष्णु ने तब मोहिनी अवतार लिया और अमृत देवताओं को पिलाते थे और जब असुरों को पिलाते तो कलश बदल देते थे, क्योंकि अगर वह अमृत असुरों को मिल जाता तो वह अमर हो जाते, इसलिए भगवान ने यह लीला रची। लेकिन जब एक असुर ने इसे देखा तो वह देवता का रूप धारण करके देवों के बीच बैठ गया। जब श्री हरि उसके पास पहुंचे तो उसे अमृत पिलाया, उसी समय भगवान की नजर उस पर पड़ी और वह जान गए कि ये देव नहीं है और जैसे ही असुर को पता चला कि भगवान उसके बारे में जान गए हैं तो वह भागने लगा तभी विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। उस असुर ने अमृत पी लिया था, जोकि केवल उसके गले तक ही था, ऐसे में उसका सिर जीवित ही था।

तभी से भगवान ने उसे श्राप दे दिया था और तभी से ही जब राहु काल हो तो उस दौरान किया गया कार्य सफल नहीं होता है। क्योंकि राहु उस समय बहुत बलवान होता है, इसलिए उस समय किए गए कार्य पूरे नहीं होते हैं। तभी उस टाइम पर कोई काम नहीं करने चाहिए। 

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