रावण ने शनिदेव को बनाया बंधी तो गुस्से में आकर शनिदेव ने किया...

Saturday, Dec 14, 2019 - 03:42 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
शास्त्रों में शनिवार को शनि देव की पूजा का विधान बताया गया है। शास्त्रों में शनि देव को अधिक क्रोधित देव माना जाता है। कहा जाता अगर किसी पर इनकी कुदृष्टि पड़ जाती है तो उसकी हस्ती-खेलती जिंदगी खराब हो जाती है। तो वहीं जिस जातक पर ये प्रसन्न होते हैं तो उसकी कंगाली भी दिनों में अमीरी में बदल जाती है। यही कारण है कि हर कोई इन्हें प्रसन्न करने में लगा रहता है। जिसमें लगभग लोग इन्हें सरसों का तेल चढ़ाना इन्हें खुश करने का सबसे उत्तम तरीका मानते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि आख़िर इन्हें तेल चढ़ाया क्यों जाता है। अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं इससे जुड़ी ऐसी पौराणिक कथा बताएं जिससे आप जान पाएंगे कि इन्हें तेल चढ़ाने का प्रमुख कारण पता लग जाएगा।

पौराणिक कथा
कहा जाता है कि रावण ने अपने बल से सभी ग्रहों को बंदी बना रखा था। जिसके बाद शनिदेव को रावण ने अपने अहंकार में चूर होकर बंदी ग्रह में उलटा लटका दिया था। उसी समय हनुमान जी माता सीता की खोज में प्रभु श्री राम के दूत बनकर लंका गए हुए थे। रावण ने जब हनुमा जी की पूंछ में आग लगाई थी तब हनुमान जी ने पूरी लंका जला दी थी।

संपूर्ण लंका के जलने से सारे ग्रह आज़ाद हो गए परंतु शनिदेव उलटे लटके हुए थे जिस कारण शनि देव आज़ाद नहीं हो पाए और उल्टा लटके होने के कारण उनके शरीर में बहुत पीड़ा हो रही थी और वह दर्द से परेशान हो रहे थे।

शनि की इस पीड़ा को शांत करने के लिए हुनमान जी ने उनके शरीर पर तेल से मालिश की और शनि को दर्द से मुक्त किया था। तब शनि देव ने कहा जो भी व्यक्ति श्रद्धा भक्ति से मुझ पर तेल चढ़ाएगा उसे सारी समस्याओं से मुक्ति मिल जाएगी। तभी से शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई।

Jyoti

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