जानिए क्यों, शुभ कार्य से पहले बांधा जाता है रक्षा सूत्र

Saturday, Nov 04, 2017 - 08:51 AM (IST)

मौली को कुछ लोग कलावा क रूप में जानते हैं। कुछ लोग मौली को रक्षा सूत्र मानकर कलाई पर बंधवाते हैं। धर्म कार्य, यज्ञ, हवन, पूजा-पाठ आदि के समय मौली बांधना बहुत ही आवश्यक माना जाता है। इसके बिना पूजा, यज्ञ अधूरे माने जाते हैं। विद्वान मानते हैं कि मौली का अर्थ ऊपर होता है। ऊपर का मतलब शीश अर्थात मस्तक। भगवान शंकर के मस्तक पर चंद्रमा रहता है। उसे चंद्रमौली भी कहा जाता है। इस प्रकार मौली एक दिव्य साधना है। इस साधना के उपयोग से हम तीनों देवों तथा तीनों महादेवियों की कृपा तथा आशीर्वाद पा लेते हैं, ऐसी मान्यता है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली की कृपा सरलता से पा लेने का यह सुगम उपाय है।


पंडित विशेष मंत्रों का उच्चारण करते हुए जब हमारी कलाई पर मौली बांधते हैं तो हमें धन-सम्पत्ति, विद्या, बुद्धि तथा शक्ति प्राप्त होने लगती है।कुछ विद्वान शरीर विज्ञानी मानते हैं कि कलाई पर मौली बांधने से हमारी नाडिय़ों पर एक्यूप्रैशर हो जाता है। मौली से जो हमारी सूक्ष्म नाडियों पर घर्षण होता है वही हमें कुछ रोगों से बचा देता है। वात, पित्त तथा कफ नियंत्रित होकर मौली बंधवाने वाले को निरोग कर देते हैं। जब भी कहीं यज्ञ, हवन, पूजा-पाठ या अन्य धार्मिक अनुष्ठान हों आप शुद्ध मन से अपनी कलाई पर मौली जरूर बंधवाएं, ब्राह्मण देवता को प्रणाम करें तथा हर प्रकार की कृपा पाने की जरूर कामना करें। आप इसी सरल साधना से बहुत कुछ पा लेने के अधिकारी बन जाएंगे। हां, मौली अर्थात रक्षा सूत्र बंधवाते समय श्रद्धा, आस्था तथा कामना बनाए रखें।
 

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