क्यों मंगलसूत्र आज भी रखता है इतना महत्व ?

Monday, Jun 10, 2019 - 02:07 PM (IST)

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हमारे हिंदू समाज में सुहाग की बहुत सारी निशानियां होती हैं। उन्हीं में से एक मंगलसूत्र भी होता है। मंगलसूत्र को विवाह का प्रतीक और सुहाग की निशानी माना जाता रहा है। शादी के बाद हर औरत इसे अपने गले में पहनती हैं। ये सोलह श्रृंगार में से एक है। इसे धारण करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। जहां इसका धार्मिक महत्व है तो वहीं दूसरी ओर इसका वैज्ञानिक महत्व भी बहुत है। यह केवल एक गहना ही नहीं, इसके ओर भी बहुत से लाभ हैं, जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। 

हिंदू धर्म की परंपराओं के अनुसार शादी के बाद महिलाओं को बहुत सी श्रृंगार सामग्री लगानी और गहने पहनने अनिवार्य होते हैं। मंगलसूत्र भी उन्ही में से एक है। यह काले धागे में पिरोया होता है और इसे अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। क्योंकि हर स्त्री को मंगलसूत्र विवाह के समय पति द्वारा पहनाया जाता है। जिसे वह स्त्री पति की मृत्यु के बाद ही उतारती है। वहीं शास्त्रों के अनुसार मंगलसूत्र का खोना या टूटना अशुभ माना जाता है। 

वैज्ञानिक महत्व 
मंगलसूत्र सोने या चांदी का बना होता है, ऐसे में दोनों ही धातुएं महिलाओं के हृदय और वक्ष को स्वास्थ रखती हैं और इसके साथ ही शरीर का रक्तचाप भी ठीक रहता है। इसमें लगे सोने के पेंडेंट का भी विशेष महत्व है, क्योंकि इससे औरतों को विशेष ऊर्जा मिलती है। सोने का पेंडेंट लगातार महिला के शरीर के संपर्क में रहता है, जिससे उसे स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। मंगलसूत्र के काले मोतियों से होकर निकलने वाली वायु रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरोध तंत्र को भी मजबूत बनाता है।

Lata

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