आखिर क्यों किया जाता है पूजा में तांबे के बर्तनों का प्रयोग ?

Thursday, Apr 11, 2019 - 12:38 PM (IST)

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अक्सर लोगों ने देखा होगा कि हिंदू धर्म में सभी लोग पूजा करते समय तांबे के बर्तनों का ही प्रयाग करते हैं। लोग अक्सर पूजा-पाठ में जो वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं वह तांबे की बनी होती है या अष्टधातु या फिर कांसे की होती है। लेकिन क्या कभी किसी ने ये सोचा है कि आखिर तांबे का ही उपयोग क्यों किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि तांबे के बर्तनों का पूजा-पाठ में इस्तेमाल करना धार्मिक दृष्टिकोण से सबसे शुभ माना जाता है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-

तांबे के बर्तनों का उपयोग करने के पीछे दो कारण बताए गए हैं। एक तो पौराणिक कारण है, जिसका वर्णन शास्त्रों में किया गया है और वहीं इसका दूसरा कारण वैज्ञानिक पक्ष से जुड़ा हुआ है। 

पहला कारण जोकि वाराह पुराण में मिलता है, जिसके अनुसार बताया गया है कि प्राचीन समय में बुड़केश नामक एक राक्षस था, लेकिन वह राक्षस होने के बावजूद भी भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। उसने एक बार भगवान विष्णु की घोर तपस्या की और साथ ही उसने भगवान विष्णु से वरदान मांगा कि आपके सुदर्शन चक्र से ही मेरी मृत्यु हो और मेरे शरीर का उपयोग पूजा-पाठ में हो। इस पर भगवान विष्णु ने उसे वरदान दिया ठीक है, समय आने पर मैं तुम्हारा वध चक्र से करूंगा और तुम्हारा शरीर पूजा-पाठ में उपयोग में आएगा। समय आने पर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका वध किया और बचे हुए शरीर को एक धातु का शरीर बना दिया जो तांबा था और साथ ही उसके शरीर से बर्तन बनाकर पूजा-पाठ प्रयोग किए। तभी से तांबे का उपयोग होता आ रहा है। 

वैज्ञानिक महत्व यह है कि तांबा जहां भी होता है वहां नकारात्मक ऊर्जा का संचार नहीं होता है और साथ ही तांबे के बर्तन में पानी पीना स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना जाता है।
 

Lata

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