सावन में क्यों भोलेनाथ को है जल चढ़ाने का विधान ?

Friday, Jul 12, 2019 - 02:40 PM (IST)

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हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान शिव का प्रिय माह सावन 17 जुलाई से शुरु हो रहा है और जो 15 अगस्त 2019 तक रहेगा। इस बार सावन के महीने में 4 सोमवार पड़ रहे हैं। कहते हैं कि अगर कोई कुंआरी कन्या सावन के हर सोमवार का व्रत कर ले तो उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। ये बात तो सब जानते ही हैं कि श्रावण मास में देवों के देव महादेव को जल चढ़ाने का विधान है। लेकिन क्या इसके पीछे के कारण को कोई जानता है? अगर नहीं तो आज हम आपको इसके पीछे जुड़ी दो मान्यताओं के बारे में बताएंगे। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन सावन के माह में हुआ था और मंथन के दौरान सबसे पहले विष निकला था। कहते हैं कि अगर वो विष धरती पर आ जाता तो पूरी सृष्टि संकट में आ जाती। किसी भी देव ने उस हलाहल विष का पान करने का साहस नहीं दिखाया। तभी देवों के देव महादेव ने उस विष का पान कर सृष्टि को बचाने का निर्णय लिया। भगवान शंकर ने उस विष का पान किया, जिसके कारण उनका कंठ नीला पड़ गया। इस वजह से भगवान शिव नीलकंठ कहलाए।

विष पान करके सृष्टि की रक्षा करने के कारण सभी देवताओं ने भगवान शिव का गुणगान किया और उनको जल अर्पित किया, ताकि उस विष का प्रभाव और ताप कम हो सके और भगवान शिव को राहत मिले। इसी कारण से ही भगवान शिव को सावन में जल चढ़ाया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से भक्तों को भोलेनाथ की विशेष कृपा मिलती है।

दूसरी मान्यता
एक ओर मान्यता के अनुसार भगवान शिव सुसराल जाने के लिए सावन में ही पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। जब वे ससुराल पहुंचे तो उनका स्वागत जलाभिषेक से हुआ था और जिससे वे बहुत प्रसन्न हुए थे। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि वे हर वर्ष सावन मास में ससुराल आते हैं और यह भगवान शिव का आर्शीवाद प्राप्त करने का उत्तम समय माना जाता है।

Lata

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