दशहरे के दिन क्यों खाई जाती हैं जलेबी?

Sunday, Oct 25, 2020 - 11:38 AM (IST)

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दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन रावण दहन करके लोग बुराई का खात्मा करते हैं। पर इसके साथ कुछ ऐसी परंपरा है जिसे हर घर में निभाया जाता है। वो परंपरा है पान और जलेबी खाने की। लेकिन बहुत ही कम लोग ऐसे होंगे जिन्हें ऐसा करने के पीछे का रहस्य पता होगा। शारदीय नवरात्रि के नौ दिन दुर्गा पूजन के बाद दसवें दिन मनाई जाने वाली विजयादशमी बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दशहरे के दिन पान खाने और बजरंगबली को चढ़ाने का विशेष महत्व है। पान को विजय का सूचक माना गया है। पान का 'बीड़ा' शब्द का एक महत्व ये भी है इस दिन हम सन्मार्ग पर चलने का 'बीड़ा'  उठाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण और देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध कर धर्म और सत्य की रक्षा की थी। इसी के साथ इस दिन प्रभु श्री राम, देवी भगवती, मां लक्ष्मी, सरस्वती, श्री गणेश और हनुमान जी की पूजा आराधना की जाती है। हम यहां आपको बताएंगे दशहरे के दिन क्यों खाया जाता है पान और जलेबी के पीछे का क्या है राज।

दशहरे पर क्यों खाते हैं पान ? 
दशहरे के दिन पान खाकर लोग असत्य पर हुई सत्य की जीत की खुशी मनाते हैं, लेकिन इस बीड़े को रावण दहन से पूर्व हनुमान जी को चढ़ाया जाता है। बीड़ा शब्द का भी अपना विशेष महत्व है, जिसे कर्तव्य के रूप में बुराई पर अच्छाई की जीत से जोड़कर देखा जाता है। नवरात्रि में 9 दिन के उपवास करने पर पाचन क्रिया प्रभावित होती है। पान खाने से भोजन पचाने में आसानी होती है। इनके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ती है। दशहरे पर पान खाने का एक कारण ये भी है कि इस समय मौसम में बदलाव होता है, ऐसे में पान सेहत के लिए अच्छा होता है। जानकार कहते हैं कि पान का पत्ता मान और सम्मान का प्रतीक है। इसलिए हर शुभ कार्य में इसका उपयोग किया जाता है।

क्यों खाते हैं दशहरे के दिन जलेबी ?
दशहरे पर जब भी आप कभी रावण दहन देखने गए होंगे तो देखा होगा कि आसपास जलेबी के बहुत से स्टॉल होते हैं। तो कभी आपने सोचा है कि दशहरे वाले दिन लोग जलेबी क्यों खाते हैं और रावण दहन के बाद जलेबी लेकर घर क्यों जाते हैं। कहते हैं कि राम को शश्कुली नामक मिठाई बहुत पसंद थी। जिसे आजकल जलेबी के नाम से जाना जाता है। इसलिए रावण पर विजय के बाद जलेबी खाकर खुशी मनाई जाती है। 

Jyoti

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