क्यों भोलेनाथ निवास करते हैं श्मशान घाट में ?

Thursday, Jul 25, 2019 - 04:55 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
सावन का पवित्र माह 17 जुलाई से शुरू हो चुका है और 15 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान भक्तों की भीड़ हर शिव मंदिर में देखने को मिलती है। सावन में शिवजी की विशेष पूजा करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है और माता पार्वती की पूजा करने से कुंआरे लोगों को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। भोलेनाथ शादीशुदा होने के बाद भी उनकी वेश-भूषा और उनका रहन-सहन सबसे अलग है। इसके साथ ही भोलेबाबा श्मशान में निवास करते हैं। आज हम आपको इसके पीछे के रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं। 

शिव परिवार
शिव पुराण के अनुसार शिवजी के परिवार में माता पार्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय स्वामी और नंदी शामिल हैं। शिवजी गृहस्थ हैं, लेकिन उनका स्वरूप एकदम उलटा है यानि वे श्मशान में रहते हैं। बहुमूल्य वस्त्र और आभूषण धारण नहीं करते हैं।

वे सांसारिक होते हुए भी श्मशान में निवास करते हैं, इसके पीछे जीवन प्रबंधन के सूत्र छिपे हैं। ये संपूर्ण संसार मोह-माया का प्रतीक है और श्मशान को वैराग्य का प्रतीक माना गया है।
भगवान शिव का स्वरूप और उनसे जुड़ी मान्यताएं हमें बताती हैं कि संसार में रहते हुए अपने सभी कर्तव्य को पूरे करो, लेकिन मोह-माया से दूर रहना चाहिए, क्योंकि ये संसार तो नश्वर है। एक दिन ये सबकुछ नष्ट होने वाला है। इसलिए संसार में रहते हुए भी किसी से मोह नहीं रखना चाहिए और अपने कर्तव्य पूरे करते हुए वैरागी की तरह आचरण करना चाहिए। किसी भी सुख-सुविधा से या किसी भी चीज़ से मोह न रखें। 

धार्मिक मान्यता
शिवजी को संहारक माना गया है यानि इस सृष्टि का संहार शिवजी ही करेंते हैं। पुरानी मान्यताओं के अनुसार ये सृष्टि बनती-बिगड़ती रहती है। भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना करते हैं और विष्णुजी इसका पालन करते हैं, भगवान शिव इसका संहार करते हैं। श्मशान में ही जीवन का अंत होता है, वहां सबकुछ भस्म हो जाता है। इसीलिए शिवजी का निवास ऐसी जगह है, जहां मानव शरीर, उससे जुड़े सारे रिश्ते, सारे मोह, सारे बंधन खत्म हो जाते है। जीवों की मृत्यु के बाद आत्मा परमात्मा में ही समा जाती है।

Lata

Advertising