...तो इसलिए दांतों से तुलसी क्यों नहीं चबानी चाहिए?

Wednesday, Apr 28, 2021 - 01:06 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
वर्तमान समय की बात करें तो हर किसी को केवल एक ही डर सताए जा रहा है, जिसका नाम है कोरोना। जी हां, देश दुनिया का लगभग हर इंसान फिलहाल अपने आप को इससे बचाए रखने को प्रयासों में लगा हुआ है। इस बीच एक तरफ दहलोग सरकार की गाइडलाइन्स को फॉलो कर रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर इससे बचने के लिए लोग कई तरह के घरेलु नुक्से आदि अपना रहे हैं। इन घरेलु नुक्सों में सबसे अधिक लाभकारी बताया जा रहा है कि तुलसी का उपाय। जी हां  वैज्ञानिकों का भी मानना है तुलसी का पत्ता हमारे अंदर इम्यूनिटी को बढ़ाता है। इसलिए कोरोना से बचने के लिए हिदायत दी जाती है कि ज्यादा से ज्यादा इसका सेवन करना चाहिए। परंतु इस दौरान एक बात का ध्यान रखना सनातन धर्म से जुड़े लोगों के लिए अधिक आवश्यक है। 

दरअसल सनातन धर्म में तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय माना गया है। जिस कारण तुलसी के पौधा को पूजनीय माना जाता है। इतना ही नहीं धार्मिक ग्रंथों में किए गए वर्णन के अनुसार तुलसी भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप की पत्नी कहलाती हैं। इन्हीं सभी कारणों की वजह से तुलसी हिंदू धर्म में अधिक महत्व रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार तुलसी के पत्ते का सेवन किया जा सकता है, परंतु इसका सेवन कैसे किया जाना चाहिए, इस बार में पता होना भी बहुत जरूरी है। वो इसलिए क्योंकि शास्त्रों में कहा गया है कि तुलसी के पत्ते को कभी दांतों से चबाना नहीं चाहिए। 

लोग इससे जुड़ा हुआ जो तर्क देते हैं उसके अनुसार तुलसी पूजनीय है, उनका पूजन किया जाता है, भगवान को भोग लगाया जाता हो, जो कि पूरी तरह से सही नहीं है, तो फिर ऐसा न करने के पीछे सही कारण क्या है। आइए जानते हैं- 

दरअसल तुलसी की पत्तियों में काफी मात्रा में लौह तत्व व पारा पाया जाता है, जो हमारे दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है इसलिए आयुर्वेद में तुलसी को चबाने से मना किया गया है। इसके अलावा तुलसी के पत्ते में कुछ मात्रा में आर्सेनिक भी पाया जाता है, जो दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर रोज़ाना तुलसी की पत्तियों को चबाएंगे तो मुंह में मौजूद क्षार तत्वों से मिल जाने पर दांतो में सड़न संबंधित खतरा बढ़ जाता है। तुलसी की पत्तियां प्राकृतिक रूप से में थोड़ी अम्लीय यानि एसिडिक होती हैं, जिससे दांतों में दर्द की शिकायत हो सकती है।

चलिए अब आपको तुलसी का सेवन करने के और भी फायदे बताते हैं। आपको ये जानकर हैरान होगी कि तुलसी मानसिक तनाव को कम करने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को भी ठीक करती है। अनेक शोध में पता चला है कि तुलसी में एंटी-स्ट्रेस गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा तुलसी शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को भी संतुलित करती है। गौरतलब है कि कोर्टिसोल एक प्रकार का हार्मोन होता है, जिसका संबंध मानसिक तनाव से होता है। तुलसी से श्वसन संबंधी बीमारियों, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों आदि का संक्रमण भी दूर हो जाता है।

जानकारी के लिए बता दें कि सनातन धर्म में तुलसी का पौधा पूजनीय है। यह मां लक्ष्मी का प्रतीक है। इससे कई आध्यात्मिक बातें जुड़ी हैं। भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है। तुलसी के पत्तों के बिना विष्णु जी को भोग नहीं लगता। तुलसी सेहत के लिये वरदान है सब रोगों पर संजीवनी भी है इसमें अनेक औषधीय गुण होते हैं। यह बुखार, खांसी निवारक और चर्मरोग परिहारक है। तुलसी शब्द का अर्थ है अतुलनीय पौधा यह पवित्र जड़ी-बूटी मानी जाती है।


 

Jyoti

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