आखिर क्यों बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में भेजना करते हैं पसंद ?
Wednesday, Aug 09, 2023 - 08:51 AM (IST)
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वृद्धावस्था में पारिवारिक समस्या पैदा होती है, क्योंकि परिवार में बूढ़े लोगों की इज्जत करने वाले कम से कम लोग होते हैं। जैसे बैल के बूढ़े होने पर किसान उसे कसाईखाने भेज देता है, उसी तरह आजकल लोग अपने बुजुर्गों को वृद्धाश्रम भेजना पसंद करते हैं, क्यों? क्योंकि बुजुर्ग घर में हद से ज्यादा हस्तक्षेप शुरू कर देते हैं।
बात-बात में टीका-टिप्पणी, टोका-टाकी करते रहते हैं। अगर बुजुर्ग लोग अधिक बोलने की आदत से छुटकारा पा लें, जुबान को नियंत्रित कर लें तो घर का कोई सदस्य उन्हें अवांछित नहीं समझेगा। धन के कारण नहीं, अपितु परिवार में उचित संतुलन न होने से परिवार टूट जाया करते हैं इसलिए पारिवारिक संतुलन बनाए रखें। बुजुर्ग परिवार के साथ सामंजस्य बनाए रखें, समस्याएं स्वयं सुलझ जाएंगी। बूढ़े-बुजुर्गों को चाहिए कि वे नपा-तुला बोलें अथवा मौन रहें।
बेटे-बहू के बीच में ज्यादा टोका-टाकी करोगे तो वे तुमसे पिंड छुड़ाना चाहेंगे। वहीं अगर तुम उन्हें केवल आशीर्वाद दोगे तो वे तुम्हें सिर पर बिठाकर रखेंगे।
बच्चे भी घर में बुजुर्गों के साथ सहयोग करें। बूढ़ों की केवल एक ही ख्वाहिश होती है कि बुढ़ापे में बेटा उनका सहारा बन जाए। जैसे, जब बेटा बच्चा था तो उन्होंने हाथ थामा था और आज जब वे बूढ़े हो गए हैं तो बेटा हाथ थाम ले।
बुढ़ापा तो बचपन का पुनरागमन होता है। तभी तो युवा और बुजुर्ग एक-दूसरे के लिए सार्थक हो सकेंगे और इसी बहाने उनका हमारे ऊपर रहने वाला फर्ज कुछ कम हो सकेगा। कम से कम उतने वर्ष तक तो उनकी उंगुली थामें, जितनी उन्होंने हमारी बचपन में थामी थी।
यह न समझें कि आप केवल मेहनत के बलबूते पर पनप रहे हैं, जितनी मेहनत है उससे कहीं अधिक आपके माता-पिता के आशीर्वाद हैं, जो आप प्रगति की सीढ़िया चढ़ रहे हैं। आप तकदीर के कितने भी सिकंदर क्यों न हों, पर कभी न कभी तो वे विडम्बना और निराशा के गर्त में गिरते ही हैं।