जानें, किसने की कांवड़ यात्रा की शुरुआत ?

Friday, Jul 19, 2019 - 11:12 AM (IST)

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सावन का महीना शुरू होने के साथ ही केसरिया कपड़े पहने शिवभक्तों के जत्थे गंगा का पवित्र जल शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए निकल पड़ते हैं, जिसे कांवड़ यात्रा का नाम से जाना जाता है। इस यात्रा को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र और शुभ माना गया है। लेकिन ये बात शायद ही कोई जानता होगा कि इस यात्रा का आरंभ किस तरह और कब हुआ था। ऐसे में ये प्रश्न तो हर किसी के मन में उठता होगा कि विश्व का पहला कांवड़िया कौन था? शास्त्रों में इस बात को लेकर बहुत सारी कथाओं का वर्णन मिलता है, जिसके बारे में आज हम आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं।  

भगवान परशुराम
कुछ मान्यताओं के अनुसार पहला कांवड़िया परशुराम जी को बताया जाता है। कहते हैं कि शंकर जी को उत्तर प्रदेश के बागपत के पास स्थित ‘पुरा महादेव’ का गंगाजल लाकर जलाभिषेक किया था और तब से ये परंपरा चलती आ रही है। ऐसा माना जाता है कि गढ़मुक्तेश्वर से वह गंगाजल लेकर आए थे। आज के समय में गढ़मुक्तेश्वर का एक नाम ब्रजघाट भी है।
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श्रवण कुमार

धार्मिक मान्यता है कि श्रवण कुमार ने त्रेतायुग में पहली बार अपने माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराने के लिए कांवड़ यात्रा की थी। अपने माता-पिता की गंगा स्नान करने की कामना को पूरा करने के लिए श्रवण अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर हरिद्वार लाए और उन्हें गंगा स्नान कराया। इसके साथ ही वापसी में वे अपने साथ गंगाजल भी ले गए और इसे ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत माना गया। 

रावण
कुछ शास्त्र रावण को भी इस यात्रा को शुरू करने का श्रेय देते हैं। जिसके अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब भोलेनाथ ने विष पी लिया था और विष के ताप से मुक्त कराने के लिए रावण ने उन्हें रोज जल अर्पित किया। वह चाहता था कि जल की शीतलता से महादेव पर विष का प्रभाव कम हो जाए। लेकिन वहीं इस दौरान देवताओं ने भगवान के विष के प्रभाव को कम करने के लिए जल अर्पित किया था, ऐसा भी माना जाता है। 

भगवान राम
कुछ मान्यताएं ऐसी भी हैं जो भगवान राम को पहला कांवड़िया बताती हैं। माना जाता है कि झारखंड के सुल्तानगंज से कांवड़ में गंगाजल भरकर, बैजनाथ धाम में शिवलिंग का जलाभिषेक उन्होंने ही किया था।

Lata

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