Kundli Tv- कैसे हुआ भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्त का फैसला ?

Friday, Nov 02, 2018 - 10:58 AM (IST)

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एक बार नारद जी भगवान विष्णु के पास पहुंचे और बड़े गर्व से बोले, ‘‘भगवन्! मुझसे बड़ा आपका भक्त संसार में दूसरा नहीं है।’’ 

नारद की बात सुनदर विष्णु जी उनके अंतर्मन में छिपे घमंड को भांप गए। वह बोले, ‘‘नारद, एक भक्त ऐसा भी है, जो तुमसे भी बड़ा है।’’ 

नारद जी ने भगवान विष्णु से पूछा, ‘‘ऐसा कौन-सा भक्त है?’’ 

विष्णु जी ने मुस्कराते हुए उस भक्त का नाम व पता बता दिया। नारद जी उसे देखने चल पड़े। जब लौटे तो बोले, ‘‘वह किसान तो कुछ समय ही आपका स्मरण करता है और मैं हर समय, हर पल आपका ही नाम जपता रहता हूं।’’

विष्णु जी मुस्कराए और बोले, ‘‘नारद! एक कटोरा तेल हथेली पर रख कर पृथ्वी का एक चक्कर लगा कर आओ।’’ 

नारद जी पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर हर्षित मन से लौट आए और बोले, ‘‘देखिए भगवन्, मैंने पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लिया, किन्तु हथेली पर रखे तेल भरे कटोरे से एक बूंद नहीं छलकने  दी।’’ 

तब विष्णु जी ने नारद से पूछा, ‘‘नारद, पृथ्वी का चक्कर लगाते समय तुमने मुझे कितनी बार स्मरण किया।’’

नारद बोले, ‘‘भगवन्, पूरे समय मेरा ध्यान कटोरे पर ही लगा रहा। ऐसे में मेरा ध्यान किसी ओर गया ही नहीं।’’ 

भगवान विष्णु मुस्कराए और नारद से कहा, ‘‘एक किसान के पास तो तमाम काम होते हैं, लेकिन वह अपने तमाम कामों को मन लगाकर करने के बाद भी कुछ पल के लिए ही सही, मेरा स्मरण करना नहीं भूलता फिर तुम्हें तो सिर्फ एक ही कार्य करना था। उसे करने में तुम्हें मेरा स्मरण नहीं रहा।’’ 

यह सुनकर नारद जी का घमंड चूर-चूर हो गया।
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Niyati Bhandari

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