Smile please: जीवन भर खुश रहना चाहते हैं तो इस ओर बढ़ाएं अपने कदम

Thursday, Apr 27, 2023 - 08:05 AM (IST)

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Smile please:  हमारे मन में कई प्रकार के अच्छे-बुरे विचार जन्म लेते रहते हैं। जीवन में हमें कई बार कमजोर क्षणों का सामना करना पड़ता है, जहां हम कमजोर पड़ते हैं। इसको पहचानने की अनिवार्यता है। दिन में कई बार हम किसी सामने वाले की बातों से खीज पड़ते हैं। कटु अनुभवों से नकारात्मकता घर करती जाती है। हम कई बार अधिक महत्वकांक्षाएं पाल लेते हैं, जिनके पूर्ण न होने की अवस्था में हम नकारात्मक हो जाते हैं।

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कई बार अवसाद से ग्रस्त प्राणी में ये नकारात्मक विचार लगातार उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। कई बार उतावलेपन में प्राणी नकारात्मक विचारों का शिकार हो जाता है इसलिए जीवन में उतावलेपन से बचना चाहिए। बुजुर्ग हर समय अपने परिवार की सदस्यों की सलामती को लेकर भावुक हो जाते हैं। मान लो कोई प्रिय सदस्य घर से बाहर है, जब तक वह घर नहीं पहुंच जाता, बड़े-सयानों के दिल में एक डर रहता है, कि कहीं उसके साथ कोई अनहोनी घटना न घट जाए। जीवन के हर मोड़ पर प्राणी भय और आशंका से घिरा रहता है। यही विचार नकारात्मकता को जन्म देते हैं।

घर से निकले बेटे-बेटियों के बार-बार फोन न उठाने पर विशेषकर माताओं की व्याकुलता कैसे बढ़ जाती है। वे प्राय: नकारात्मकता का शिकार हो जाती हैं। कार्यालय से पति नहीं आया और पत्नी बेचारी छज्जे से टकटकी लगाए अपने पति की राहों में आंखें बिछाए बैठी रहती है।

कई बार फर्जी काल्पनिक अनुमानों से कई प्राणी नकारात्मक विचार मन में उपजाते रहते हैं। काल्पनिक खाम-ख्याली भी नकारात्मक विचारों को जन्म देने में सक्रिय भूमिका निभाती है। जीवन में कई प्रकार की प्रत्याशित अथवा अप्रत्याशित घटनाएं दुख अथवा सुख के रूप में सामने आती रहती हैं। यही जीवन है। हम यह नहीं कह सकते कि जीवन में हम कभी सकारात्मक नहीं होंगे या बोझिल महसूस नहीं करेंगे पर यह जरूर सुनिश्चित किया जा सकता है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी विषम हों, हम अपने दृष्टिकोण को निरंतर बेहतर, सकारात्मक और रचनात्मक बनाए रखेंगे।  

इसके लिए बेहद जरूरी हो जाता है कि हम अपने आध्यात्मिक स्तर को ऊंचा करें। नकारात्मक विचारों को जहां तक हो सके रोकने का प्रयास कर उन्हें सकारात्मक सोच में बदलना चाहिए। जीवन बेहद खूबसूरत है। मैं स्वयं से प्रेम करता/ करती हूं। मैं बदल चुका हूं। मन में इस प्रकार के भाव लाने से विचार अवश्य सकारात्मक होंगे। योगाभ्यास, मैडीटेशन, नृत्य-गायन से रचनात्मकता तो आएगी ही, आदतें भी बदलेंगी।

प्राणी को अपनी भावनाएं, भय और हर प्रकार की सोच को परिवार से सांझा करने से गुरेज नहीं करना चाहिए। जब तक प्राणी खुद को महत्वपूर्ण नहीं समझेगा, तब तक वह नकारात्मक ही बना रहेगा। जब कभी निराशा या नकारात्मकता की भावना उत्पन्न होने लगे तो किसी मंत्र का उच्चारण किया जा सकता है। इसमें कोई हर्ज नहीं।

नकारात्मक सोच आने पर विश्लेषण अवश्य करना चाहिए, ताकि सकारात्मक पहलू तलाशा जा सके। यदि प्राणी की कल्पना सार्थक है तो सोच स्वयंमेव सकारात्मक हो जाएगी। प्रत्येक प्राणी का यह रवैया रहना चाहिए कि वह नकारात्मक सोच को जाने-अनजाने में अपने व्यक्तित्व का हिस्सा न बना ले, नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। इसका दुष्प्रभाव घरेलू वातावरण और शरीर पर अवश्य पड़ता है। यह भी तय है कि सतत नकारात्मक सोच आदमी को अंदर से खोखला बना देती है, जिसका प्रभाव उसके व्यक्तित्व पर पड़ता है।


 

Niyati Bhandari

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