अगर जीना चाहते हैं 100 साल तो जीवन में लाएं ये बदलाव

punjabkesari.in Monday, Jun 20, 2022 - 09:09 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

How do you live 100 years in perfect health: कितने ही लोग हैं जो 100 साल तक लम्बे जीवन का आनंद ले पाते हैं। लम्बा जीवन जीने के लिए सबसे जरूरी है अपनी जीवनशैली को सेहतमंद रखने की। कुछ सरल से बदलाव से आप भी सेहतमंद लम्बे जीवन का आनंद ले सकते हैं। 

PunjabKesari What is the secret of being healthy

पूर्ण भोजन करें, सप्लीमैंट नहीं 
जोरदार सबूत सुझाते हैं कि जिन लोगों में कुछ पोषक तत्वों-सेलेनियम, बीटा-कैरोटीन तथा विटामिन सी व ई के रक्त स्तर ऊंचे होते हैं, बेहतर आयु जीते हैं और उनमें संज्ञानात्मक गिरावट की दर कम होती है। दुर्भाग्य से ऐसा कोई सबूत नहीं है कि इन न्यूट्रिएंट्स के साथ गोलियां लेने से एंटी-एजिंग प्रभाव मिलते हैं। एक टमाटर में 200 से अधिक विभिन्न कैरोटेनॉयड्स तथा 200 विभिन्न फ्लेवोनॉयड्स पाए जाते हैं, जो हमें ज्ञात किसी एक न्यूट्रिएंट में नहीं मिलते। न्यूट्रिएंट-विहीन सफेद भोजनों (ब्रैड्स, मैदा, चीनी) से बचें और सभी रंग-बिरंगे फलों-सब्जियों तथा डार्क होल-ग्रेन ब्रैड्स का रुख करें।

PunjabKesari What is the secret of being healthy

कम तनावपूर्ण बनें 
एक नया अध्ययन दर्शाता है कि शतकीय जीवन जीने वाले लोग चीजों (गुबार या नाराजगियां) को अपने भीतर दबा कर नहीं रखते और न ही समस्याओं तथा परेशानियों के साथ जीते हैं। यदि इन जन्मजात लक्षणों पर काबू पाना आसान नहीं तो जब आप तनावग्रस्त हों तो उसका प्रबंधन करने के लिए बेहतर तरीके तलाशें। ये सभी अच्छे हैं- योग, व्यायाम, ध्यान, ताई ची या कुछ पलों के लिए केवल गहरी सांस लेना।

PunjabKesari What is the secret of being healthy

परमात्मा का तोहफा 
यह महत्वपूर्ण है कि अपने शरीर को परमात्मा द्वारा दिया गया ऋण समझें। इसका अर्थ है न सिगरेटनोशी, न मदिरापान तथा न ही मीट का अत्यधिक सेवन। आमतौर पर शाकाहारी भोजन से जुड़े रहें, जो फलों, सब्जियों, फलियों (बीन्स) तथा नट्स पर आधारित हो और साथ ही ढेर सारा व्यायाम भी करें।     

PunjabKesari What is the secret of being healthy

Anmol vachan अनमोल वचन
जीवन में आए दुखों का कारण साधनों की कमी नहीं बल्कि मनुष्य का अपना ही स्वभाव है। स्वभाव सुधरता है सत्संग में आने से और संतों का संग करने से।

केवल फल की इच्छा में लगी बुद्धि विवेक को खा जाती है क्योंकि मनुष्य अहंकार में फंस कर कर्म करता है।

जो मनुष्य प्रसन्न रहते हैं उनके मन में कभी आलस्य नहीं आता। आलस्य एक बड़ा विकार है। आलसी मनुष्य बहाने ढूंढता रहता है।

मनुष्य जब अंदर से सुखी होता है तभी उसे सत्संग में आनंद आता है। संत-महात्मा तो चलते-फिरते तीर्थ स्थान हैं।

माता-पिता का दिल दुखाने वाले को तो कभी सपने में भी भगवान के दर्शन नहीं हो सकते।

जो माता-पिता को वृद्धाश्रमों में भेज रहे हैं वे वहां जाने के लिए अपनी भी तैयारी कर लें क्योंकि उनके बच्चे भी उन्हें वहीं भेजेंगे।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News