कुरुक्षेत्र से भगवान श्री कृष्ण का है क्या नाता?

Tuesday, Aug 11, 2020 - 05:42 PM (IST)

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जन्माष्टमी के इस शुभ अवसर पर हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको तमाम तरह की जानकारी दे रहे हैं। इस बीच हम आपको गोकुल और मथुरा से जुड़े कई रहस्य आदि बता चुके हैं। अब हम आपको बताने जा हैं धर्मनगरी कहने जाने वाली कुरुक्षेत्र की भूमि के बारे मेें। कथाओं के अनुसार कुरुक्षेत्र से भगवान श्री कृष्ण का गहरा नाता है। इसी भूमि पर बाल्यकाल में भगवान श्री कृष्ण एवं बलराम का शक्तिपीठ पर मुंडन संस्कार हुआ। तो यहीं भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत काल में गीता का संदेश दिया। इतना ही नही कुरुक्षेत्र की इसी पावन धरती पर वर्षों बाद सूर्यग्रहण पर भगवान श्री कृष्ण पहुंचे और राधा कृष्ण का पुन: मिलन हुआ।

मौजूदा स्थिति की बात करें तो कोरोना महामारी से बाजारों में मंदी का आलम छाया है। अयोध्या में भगवान श्री राम जन्मभूमि मंदिर के भूमिपूजन के उपरांत अब श्रद्धालु श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियों में जुट गए हैं। हालांकि जैसा आपको बताया गया कि बाजारों में फिलहाल चाहे मंदी का आलम है लेकिन लोगों में श्री कृष्ण भक्ति तथा आस्था देखते ही बनती है। इस बार की जन्माष्टमी पर लोगों की एक ही कामना है कि कोरोना महामारी से मुक्ति मिले। इसके लिए श्री कृष्ण से प्रार्थना भी की जा रही है। पंजाब केसरी के रिपोर्टर विनोद खुंगर की रिपोर्ट के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मंदी से मुक्ति के लिए कुरुक्षेत्र के बाजार सज चुके हैं।

दुकानों पर राधा-कृष्ण की मूर्तियां, उनकी पोशाक, नई तकनीक के झूले, बिस्तर, श्री कृष्ण के मुकट, बांसुरी, कंगन, श्रृंगार तथा आकर्षक मच्छरदानी देखकर ग्राहक आकर्षित हो रहे हैं। अयोध्‍या में श्रीराम मंदिर के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम के बाद से श्री कृष्ण जन्माष्टमी त्‍यौहार पर दोगुना उत्‍साह बन रहा है। दुकानों पर बड़ी संख्या में लोग परिवार के साथ पहुंच रहे हैं। 

पोशाक और मूर्तियों के विक्रेता हर्षित ने बताया कि ज्यादा बिक्री राधा-कृष्ण की मूर्तियों, उनके गहने तथा पोशाक की हो रही है। पिछले कुछ समय से कृष्ण का पालना भी हाईटेक हो गया है। पहले केवल रस्सी से झुलाया जा सकने वाला पालना अथवा झूला अब बिजली तथा बैटरी चालित हो गया है। इसके अलावा इस झूले पर फूलों की सजावट के साथ-साथ लाइटों की सज्जा भी देखने को मिल रही है। इसकी खूबसूरती नेट से बनी मच्छरदानी तथा मखमल की खूबसूरत रंगों में आई चादर बढ़ा रही है।

दुकानदार ने कहा कि श्रीकृष्ण की पालकी सजाने के लिए भी लोग सजावट की सामग्री खरीद रहे हैं। कुरुक्षेत्र के मोहन नगर सिरसला रोड़ मार्किट, रेलवे रोड़, शास्त्री मार्किट, मेन बाजार व छोटा बाजार इत्यादि में सर्वाधिक भीड़ पोशाक और वस्त्रों की दुकानों पर रही। संजीव गोयल ने बताया कि पिछले कई वर्षों के मुकाबले इस बार ग्राहक उतने नहीं हैं, लेकिन फिर भी काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि इस बार सस्ती और हल्की पोशाकें ज्यादा पसंद की जा रही है। 

वहीं डिजाइनर और भारी काम की पोशाकें मंदिरों के लिए जा रही हैं। कोराना के चलते इस बार बाजार में लड्डू गोपाल के शृंगार के लिए कोई नया सामान नहीं आया है। लेकिन पुराने शृंगार के सामानों की ही धूम है। दुकानदार काठपाल ने कहाकि लड्डू गोपाल को सजाने को दुकान पर खूबसूरत माला के सेट के अलावा राधा- कृष्ण के कपड़े, मुकुट, सिंहासन, चरण पादुका, बांसुरी, मोर पंखी, पीतांबरी, पालना, बिस्तर गद्दा, गद्दी के साथ तकिया, घंटा, घंटी, शंख, बंदरबार, इत्र व अन्य सभी समान मौजूद है। लड्डू गोपाल के लिए श्रद्धालु अपने मनपसंद का सामन खरीदकर ले जा रहे हैं।  

Jyoti

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