बीते हुए पलों के याद आने के पीछे का असल कारण क्या है?

Wednesday, Jan 01, 2020 - 04:25 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हर इंसान के जीवन की कुछ ऐसा स्मृतियां होती हैं जिन्हें भूलना उनके लिए आसान नहीं होता। अगर कुछ लोग इसे भूलने में सक्षम हो भी जाते हैं परंतु कुछ देर बाद फिर वे यादें इंसान को तंग करने लगती हैं। आख़िर ऐसे क्यों होता है। अगर कुछ शोध कर्ताओं की मानें तो दरअसल  व्यक्ति का भूलना और याद आना, एक ऐसे घूमते हुए पहिए से जुड़ा हुआ है जिसे हम समय कह सकते हैं। यह एक ऐसा पहिया होता है जिसमें कोई निशान नहीं होता। कब इसके घूमने का एक चक्र पूरा होता है, यह हम नहीं जानते। असल में  हम इसके भीतर कैद है, और हम सभी उसके एक चक्र पूरा होने से पहले ही अपना कार्य खत्म करना चाहते हैं। जब कार्य की शुरुआत की थी तब उस चक्र पर एक निशान बना लिया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि एक चक्र पूरा कब होगा यह तय होने के बाद उस चक्र को अब समय का नाम दिया गया, जिस आज हम घड़ी के नाम से जानते हैं।

इसी समय की गति और चाल से ही यह सारा ब्राह्मांड चल रहा है यह ब्राह्मांड घूमते हुए पहिए के चक्र में कैद है। अब आप सोच रहे होंगे इससे हमारे भूलने और याद आने का क्या संबंध है। तो बता दें हमारा भूलना और याद आना भी उसी चक्र जैसा ही है। फर्क सिर्फ चक्र के पहिए का आकार में है, जो एक चक्र पूरा करने में कम या ज्यादा गति और चाल लेता है। उदाहरण के तौर पर बता दें जिन यादों को हम भूल जाना चाहते हैं, और निर्णय भी ले लेते हैं, तब हम उस पहिए के चक्र पर एक निशान बना देते हैं, और वह धीरे-धीरे हमसे दूर होता हुआ जाता है एक ऐसा भी समय आता है, जब हमें वह निशान दिखाई देना बंद हो जाता है। किंतु फिर कुछ समय बाद वह निशान हमारी और बढ़ता हुआ दिखाई देता है, और हमें वह समय तब याद आने लगता है, जिस समय में हमने इस चक्र पर एक निशान लगाया था, और धीरे - धीरे वह चक्र के निशान हमारे करीब बढ़ने लगता है।

ऐसा होने पर हमें वह सब कुछ याद आने लगता है, जो हम भूला चुके होते हैं तब हमारी मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब होने लगती है।मगर जैसे कि सब जानते होंगे कि  समय के पहिए का चक्र कभी किसी के लिए रुकता नहीं है, एक निशान चक्र पूरा करने के बाद वे अपनी गति से आगे बढ़ जाता है, और वह यादें फिर से दूर होने लगती है।

किसी ने खूब लिखा है "जिसे भुलाया है वो याद आएगा, जो याद है उसे भूल जाएंगे"
 
इसलिए कहा जाता है कि वो मात्र एक यादें नहीं है, जिसे हम भुलाकर बैठे हैं बल्कि हजारो यादें हैं जो भूल बैठे हैं हजारो यादें हैं, जो याद हैं। यादों का यही चक्र उस पहिए पर एक नहीं बल्कि अनेकों निशान बना देता है।  यही निशान आगे चलकर भूतकाल में व्यक्ति को तनाव से ग्रस्ति कर देता है। गोल घूम रहे इस पहिया में हर इंसान कैद है, जिसका भेद पाना अभी तक संभव नहीं हो पाया।

Jyoti Chahar

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