क्या है सच्ची पूजा, अर्थ जान जाओगे तो तर जाओगे

punjabkesari.in Friday, Sep 11, 2020 - 06:13 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
महान संत एकनाथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने एक बालक को रोते हुए देखा। वह मां-मां कह कर जोर-जोर से रो रहा था। संत एकनाथ समझ गए कि बालक मां से बिछुड़ गया है। उन्होंने बालक को उठाया, पुचकारा तथा गोद में लेकर चल दिए।
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रास्ते में उन्हें एक भक्त मिला। वह बोला, ‘‘लगता है यह बालक सामने वाली छोटी जात की बस्ती की किसी महिला का होगा। आपको तो स्नान के बाद मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करनी थी। इस बालक के चक्कर में कैसे पड़ गए?’’

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एकनाथ ने कहा, ‘‘इस बिछुड़े बच्चे के रुदन ने मेरे हृदय को द्रवित कर दिया था। इस बच्चे मेें मुझे इष्टदेव के दर्शन हो रहे हैं। इसे  उसकी मां की गोद में पहुंचाकर ही मुझे संतोष मिलेगा। यह कृत्य क्या पूजा-अर्चना से कम है?’’

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बच्चे को मां की गोद में देते समय संत एकनाथ को लगा  कि  जैसे उनके इष्टदेव कह रहे हैं, ‘‘भक्त आज की इस पूजा से और तुम्हारे हृदय की करुणा से मैं सबसे ज्यादा  संतुष्ट हुआ हूं।’’
—शिव कुमार गोयल  


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Jyoti

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