श्रावणी पूर्णिमा से जनेऊ का क्या है संबंध, जानते हैं आप?

Wednesday, Jul 29, 2020 - 11:00 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हर मास में पूर्णिमा तिथि पड़ती है, हिंदू पंचांग के अनुसार हर मास की 15वीं तिथि और शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा तिथि कहा जाता है। हर मास की इस तिथि को विभिन्न नाम प्रदान है। श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को श्रावणी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। साल में पड़ने वाली प्रत्येक पूर्णिमा तिथि को अधिक महत्व है। परंतु श्रावण मास की पूर्णिमा को अधिक खास इसलिए माना जाता है क्योंकि इस दिन रक्षाबंधन का त्यौहार भी मनाया जाता है।  

प्रत्येक पूर्णिमा की तरह इस दिन भी दान, पुण्य आदि के साथ-साथ पावन नदियों में स्नान का भी बहुत महत्व है। हालांकि इस बार देश में फैली कोरोना महामारी के कारण तमाम गंगा घाट सूने पड़े हैं। इसके अलावा इस दिन लोग चंद्र दोष निवारण हेतु कई उपाय करते हैं। मान्यता है इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है, इसलिए इस दिन इससे जुड़ें ज्योतिष उपाय करने से लाभ प्राप्त होता है। ज्योतिष बताते हैं कि मूल्यतः 27 नक्षत्र माने गए हैं, ये नक्षत्र दिन तिथि की गति के अनुसार बदलते हैं हैं, श्रावणी अमावस्या के दिन चंद्रमा श्रावण नक्षत्र में होता है। इस दिन को कई शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है। तो वहीं इसके अलावा इस दिन से जुड़ी जनेऊ को लेकर 1 मान्यता है, जिसके बारे में शायद बहुत कम लोग जानते हैं। 

आइए जानते हैं क्या है वो मान्यता-
बताया जाता है ये दिन खास तौर पर ब्राह्माणों के लिए विशेष होता है। मान्यता है इस दिन जनेऊ बदलना शुभ होता है। इसलिए जो लोग जनेऊ धारण करते हैं वे श्रावणी पूर्णिमा के दिन धर्मावलंबी मन, वचन और कर्म की पवित्रता का सकंल्प लेकर जनेऊ बदलते हैं। बता दें खास तौर पर ज्योतिषी हिदायत देते हैं कि अगर पूरे वर्ष में किसी व्यक्ति को कभी भी जनेऊ बदलने की आवश्यकता होती है तो इसी दिन पूजा करके जनेऊ धारण करना चाहिए। 

Jyoti

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