इस पर्वत का समुद्र मंथन से क्या है CONNECTION

Thursday, Jan 31, 2019 - 05:02 PM (IST)

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हिंदू शास्त्रों में समुद्र मंथन का वर्णन पढ़ने को मिलता है। इससे जुड़े कई तथ्य और कथाएं प्रचलित हैं। हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले हर व्यक्ति को इससे बारे में पता होगा लेकिन इसके बारे में किसी को नहीं पता होगा कि ये भारत में एक एक ऐसा पर्वत है जिसका संबंध समुद्र मंथन से है। जी हां, हम बात कर रहे हैं बिहार के मंदराचल पर्वत की। मान्यता है कि इस पर्वत पर विष्णु भगवान साक्षात रूप से निवास करते हैं।
धार्मिक पुराणों और ग्रंथों की मानें तो समुद्र मंथन की कथा मंदार पर्वत से जुड़ी हुई है। इसके अनुसार समुद्र मंथन के समय देवताओं ने मंदराचल पर्वत को मथनी बनाया। लोक मानताओं के मुताबिक भगवान विष्णु हमेशा मंदार पर्वत पर निवास किया करते थे। मान्यता है कि आज भी यह पर्वत बिहार के बांका जिले में मौज़ूद है। आर्कियोलॉजिस्ट का कहना है यह मंदराचल पर्वत गुजरात के समुद्र से निकले हुए पर्वत का हिस्सा है।
आइए अब जानते हैं कि आखिर समुद्र मंथन मंदार पर्वत पर ही क्यों हुआ इसका धार्मिक महत्व क्या है-
विष्णु पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार विष्णु जी का निवास स्थान मंदार पर्वत था। यह पर्वत लगभग 700 फीट ऊंचा है जो कि ग्रेनेट के एक ही पत्थर का चट्टान है। कहा जाता है कि इस पर्वत पर दर्जनों कुंड और गुफाएं हैं। जिसमें सीता कुंड, शंख कुंड, आकाश गंगा के अलावा नरसिंह भगवान की गुफा, सुकदेव की गुफ़ा, राम झरोखा के साथ-साथ पर्वत की तराई में लखदीपा मंदिर, कामधेनु मंदिर और चैतन्य चरण मंदिर आदि मौजूद हैं।
कुछ किंवदंतियों के अनुसार औरव मुनि की पुत्री समिका का विवाह धौम्य मुनि के पुत्र मंदार से हुआ था, जिस कारण इस पर्वत का नाम मंदार पड़ा। बता दें कि मंदार पर्वत तीन धर्मों की संगम स्थली भी कहा जाता है। पर्वत की तराई में सफा होड़ धर्म के संस्थापक स्वामी चंद्र दास के द्वारा मंदिर का निर्माण करवा गया था, इसके साथ ही पर्वत के सबसे ऊपर जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर भगवान वासु पूज्य की निर्वाण स्थली भी है। इसके अलावा यहां नरसिंह भगवान का भी मंदिर भी हैं।

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Jyoti

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