जानें, चुनाव और काशी का क्या है CONNECTION ?

Sunday, Mar 24, 2019 - 02:27 PM (IST)

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जैसे कि सब जानते हैं लोकसभा के चुनाव की तारीखें नज़दीक आ रही हैं। इसी के चलते हर सभी राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग शहरों में जाकर लोगों को अपनी तरफ करने में जुटे हैं। कहा जा रहा है कि राजनीति पार्टी के तमाम नेता दूसरे पर हावी होने के लिए कई मंदिर-मज़ारों आदि में आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जा रहे हैं। जैसे चुनाव के इस महासंग्राम में देश की दो बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने आस्था से जुड़े केंद्र को ही धुरी बनाकर अपनी सियासी लड़ाई लड़ने का मन बना लिया हो। बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बाबा विश्वनाथ की विधिवत पूजा की और उनसे अपनी जीत का आशीर्वाद मांगा।

जहां हाल ही में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बाबा विश्वनाथ में विधिवत पूजा करके जीत का आशीर्वाद मांगा था तो वहीं विभिन्न तीर्थ दर्शन करते हुए लोगों से अपने लिए समर्थन मांग रही कांग्रेस की महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी प्रयागराज, मिर्जापुर के साथ-साथ वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन के लिए पहुंची।

ऐसा कहा जाता है कि शुरू से ही भारत देश की राजनीति का शिव की प्रिय नगरी काशी से बहुत गहरा संबंध रहा है। मान्यता है कि यहां मोक्ष के साथ राजनीतिक जीत का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

आइए विस्तार से जानते हैं महादेव के इस पावन धाम के बारे में-
बता दें कि काशी विश्वनाथ के मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों में नौवां स्थान प्राप्त है।

धार्मिक दृष्टि से इस नगरी का बड़ा महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ये  नगरी महादेव के त्रिशूल पर व्यवस्थित है।

लोक मान्यता है कि काशी विश्वनाथ यहां आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी करते हैं। यही मुख्य कारण है कि चुनाव में जीत पाने के लिए देश के हर कोने से राजनीतिक हस्तियां काशी में बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचती हैं।

बता दें कि इस मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमर सिंह, लालू यादव और अमिताभ बच्चन जैसी कई बड़ी हस्तियां मनोकामना प्राप्ति के लिए विशेष पूजा कर चुकी हैं। जिस सूची में अब प्रियंका गांधी का नाम भी जुड़ चुका है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि काशी में स्थापित बाबा विश्वनाथ के इस मंदिर का निर्माण 1780 में महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा करवाया गया था। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने सन् 1853 में 1000 कि.ग्रा सोना मंदिर के निर्माण के लिए दान दिया था।

इसके अलावा प्राचीन समय में यहां आदि शंकराचार्य, संत एकनाथ रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, महर्षि दयानंद, गोस्वामी तुलसीदास ने भी दर्शन किए थे।

मान्यता है कि प्रलय आने पर भी इस पावन नगरी को ज़रा सा भी नुकसान नहीं पहुंचता, वो इसलिए क्योंकि इस नगरी को भगवान शंकर ने अपने त्रिशूल पर धारण किया है जिस वजह से इसे कभी कोई हानि नहीं पहुंचती।

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Jyoti

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