पूजा में प्रयोग होने वाले कलश से मां सीता का क्या है CONNECTION

Saturday, Aug 10, 2019 - 05:17 PM (IST)

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क्या आप हिंदा धर्म से संबंध रखते हैं? अगर हां तो आपको पता होगा कि इस धर्म में पूजा-पाठ का कितना महत्व है। अब ज़ाहिर सी बात है कि आप ये भी जानते होंगे कि पूजा में खास सामग्री का उपयोग होता है। मगर सामग्री के अलावा एक और ऐसी चीज़ है जिसका हर पूजा में इस्तेमाल होता है। कलश, जिसकी हर प्रकार की पूजा से पहल स्थापना अति आवश्यक मानी जाती है। ये मान्यता आज से नहीं प्राचीन समय से चला आ रहा है। माना जाता है कलश में सभी देवी-देवताओं की मातृ शक्तियां होती हैं। इसके बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं हो पाती है। मगर क्यों इसका पूजा में इस्तेमाल इतना महत्वपूर्ण है, इस बारे में किसी को नहीं पता होगा। तो आपको बेता दें इससे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। आइए जानें इससे जुड़ी खास बातें-

कलश से प्राप्त हुई थीं मां सीता
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार राजा जनक खेत में हल चला रहे थे, तभी उनका हल ज़मीन के अंदर गड़े हुए कलश से टकराया। जब उन्होंने कलश को निकाला तो उसमें से कन्या प्राप्त हुई थी। जिसका नाम सीता रखा गया।

एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश प्राप्त हुआ था। इन्हीं वजहों से पूजा में कलश की स्थापना करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है।और जैसा कि आप सब ने देखा होगा कि मां लक्ष्मी के सभी तस्वीरों व चित्रों में कलश मुख्य रूप से दर्शाया जाता है।


ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब पूजा में कलश स्थापित किया जाता है तो ऐसा माना जाता है कि कलश में त्रिदेव और शक्तियां विराजमान होती हैं। साथ ही कलश में सभी तीर्थों का और सभी पवित्र नदियों का ध्यान भी किया जाता है। इसी के चलते सभी शुभ कामों में कलश स्थापित करने का विधान है।

बता दें पूजा में सोने, चांदी, मिट्टी और तांबे के कलश का इस्तेमाल किया जा सकता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि पूजा के दौरान कभी भी लोहे का कलश न रखें।

कैसे स्थापित करें कलश-
पूजा करते समय कलश जहां स्थापित करना हो, वहां हल्दी से अष्टदल बनाएं।
फिर उसके ऊपर चावल रखें, बता दें चावल के ऊपर कलश रखा जाता है।
कलश में जल, दूर्वा, चंदन, पंचामृत, सुपारी, हल्दी चावल, सिक्का, लौंग, इलायची, पान, सुपारी आदि शुभ चीजें डाल दें।
इसके बाद कलश के ऊपर स्वास्तिक बनाएं। अब कलश के ऊपर आम के पत्तों के साथ नारियल रखें, फिर इसके बाद धूप-दीप जलाकर कलश का पूजन किया जाता है।

Jyoti

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