शनि की वापसी- कभी उन्नतिकारक, कभी मृत्युकारक

Saturday, Mar 06, 2021 - 07:06 AM (IST)

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Why is Saturn important in Hindu astrology- ग्रहों की स्थिति का दो प्रकार से विश्लेषण किया जाता है। दोनों ही स्थितियों में इनसे मिलने वाले परिणामों की व्याख्या भी भिन्न-भिन्न प्रकार से की जाती है। प्रथम प्रकार में ग्रह हमारी जन्मकुंडली में स्थिर रूप में विराजित हैं, दूसरे प्रकार में ग्रह वर्तमान भचक्र में निरंतर गति कर रहे हैं। जीवन को अर्थपूर्ण बनाने में ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हमारी जीवन कुंडली वास्तव में हमारे पूर्वजन्मों के फलस्वरूप निर्धारित रोड मैप है, जिस पर चल कर हमें जीवन यात्रा को पूरा करना है।
 

What does Shani mean in Hindu- कुंडली के योग, दशा और गोचर के ग्रह एक उपकरण का कार्य कर रहे हैं, जो मार्गदर्शन करते हुए हमें दिशा देते हैं। आज के युवा अपने उद्देश्यहीन जीवन को दिशा देने के लिए ज्योतिष विद्या का प्रयोग कर अपने जीवन को एक नया आयाम दे सकते हैं।

 What is Shani in Hindu astrology- जिस क्षण हम पैदा होते हैं उसी क्षण हमारा भाग्य ग्रहों की ज्योतिषीय स्थिति द्वारा निर्धारित हो जाता है। हमारी जन्मकुंडली में यह संकेत के रूप में होता है जिसे एक योग्य ज्योतिषी सरलता से समझ सकता है। प्रत्येक ग्रह कुछ निश्चित विषयों का कारक होता है। जैसे सूर्य आरोग्यता, चंद्र मन और बुध बुद्धि का कारक है।

What does Shani stand for- इसी श्रेणी में शनि है जिन्हें काल, मेहनत, परिश्रम और तनाव का कारक माना गया है। शनि एक राशि में लगभग अढ़ाई साल रहते हैं और बारह राशियों में गोचर करने में शनि को लगभग 30 वर्ष का समय लगता है। जन्मकुंडली में स्थिति शनि पर शनि का दोबारा गोचर लगभग 27 से 30 वर्ष की अवधि में होता है। यह वह समय होता है जब व्यक्ति अपने करियर में लगभग स्थापित हो चुका होता है या फिर स्थापित होने का प्रयास कर रहा होता है। इससे पूर्व के जीवन में व्यक्ति ने शिक्षा अर्जित कर जो भी योग्यता पाई है उसे प्रयोग करने का यह समय होता है।

Learn About the Hindu Deity Shani Dev- शनि को एक ही स्थान पर वापस आने में लगभग 29 वर्ष लगते हैं और उस वर्ष को शनि की वापसी कहते हैं। शनि की यह वापसी व्यक्ति को दुनिया को समझने, जानने और विश्लेषण करने के अवसर देती है। जिसके माध्यम से हम अपने जीवन को दिशा दे सकते हैं। हम अक्सर देखते हैं कि हम जीवन की एक सीधी राह में चले जा रहे होते हैं कि तभी किसी चौराहे पर आकर हमें यह निश्चित करना होता है कि अब हमें किस ओर जाना है, कौन-सी राह पकड़ने पर हम अपने जीवन लक्ष्य को पा सकेंगे।

Shani in Your Kundli- शनि की वापसी का समय वही समय होता है। जीवन को दिशा देने वाला समय होने के कारण यह समय संकट और संघर्ष का समय होता है। एक ज्योतिषी विद्वान ने एक स्थान पर कहा है कि शनि वह ग्रह हैं जो हमें सिखाते हैं, चाहे हम सीखना चाहें या नहीं। जीवन की मर्यादाओं के विषय में शनि जिम्मेदारियां देकर परिपक्व एवं अनुभवी बनाते हैं।

Shani Position In Kundli- कुछ लोगों को इस समय में यह एहसास होगा कि आयु के इससे पूर्व के 20 वर्ष जो हमने बिताए वे शायद सही नहीं थे। यह अहसास असफलता और तनाव का कारण बन सकता है। यह कुछ करीबियों की मृत्यु और स्वयं की नौकरी जाने का समय भी हो सकता है। कई बार नौकरी जाती नहीं परंतु नौकरी छूटने की स्थिति अवश्य बन जाती है। शनि गोचर में मिलने वाले फल जन्मपत्री में शनि की स्थिति के अनुसार तय होते हैं, इसलिए इस अवधि विशेष में  मिलने वाले फलों में व्यक्ति के अनुसार भिन्नता होना अपरिहार्य है।

Shri Atal Bihari Vajpayee  श्री अटल बिहारी वाजपेयी
भारतीय राजनीति को एक नया आयाम देने वाले श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जीवन के 27 से 30 वर्ष के मध्य का समय अति महत्वपूर्ण था। इस समय के दौरान अटल जी 1954 में बलरामपुर से सांसद चुने गए। मात्र इस छोटी सी आयु में यह पद पाना किसी के लिए भी सम्मान और गौरव का विषय रहेगा। इस पद के साथ ही अटल जी सक्रिय राजनीति का हिस्सा हो गए। इनकी कुंडली में शनि द्वादश भाव में उच्चस्थ अवस्था में है एवं तृतीयेश व चतुर्थेश है। इस समय इनकी शनि की साढ़ेसाती भी शुरू हुई जो इनके लिए शुभ और उन्नतिकारक साबित हुई। जन्मकुंडली में दशा भी शुक्र में शनि की प्रभावी थी। इनके जीवन की इस समयावधि को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाने की प्रथम सीढ़ी कहा जा सकता है। शनि साढ़ेसाती की इस अवधि ने उनके जीवन को एक दिशा दी और आगे जाकर अटल जी भारतीय राजनीति का आधार बन पाए।
 


Mr. Gulzari Lal Nanda श्री गुलजारी लाल नंदा
गुलजारी लाल नंदा जी के जीवन को दिशा देने का कार्य 1927 में हुआ जब जन्म शनि पर गोचर शनि का विचरण हुआ। गुलजारी लाल नंदा जी की कुंडली मेष लग्न और धनु राशि की है। शनि इनके अष्टम भाव में स्थित है। वृश्चिक राशि में स्थित शनि पर 1925 से 1926 के मध्य रहा। यह समय इन्हें राजनीति जीवन में लेकर आया।

Mrs. Indira Gandhi श्रीमती इंदिरा गांधी
शनि 1945 से 1946 की अवधि में शनि इनकी जन्म राशि पर गोचर कर रहे थे। उस समय इनके जीवन में बदलाव हुआ और इंदिरा गांधी ने पारिवारिक जीवन में माता की भूमिका की शुरूआत की। इसके बाद जब शनि दोबारा 1975 में इनके जन्म  शनि पर गोचरवश आए तो इन्होंने देश में आपातकाल लागू किया। अपनी सत्ता को बचाने के लिए इन्होंने यह कदम उठाया जो जीवन के अंत तक इनके लिए आलोचना का कारण बना। 1984 में इनकी मृत्यु के समय शनि इनके चतुर्थ भाव पर गोचर कर, लग्न में स्थित जन्म शनि को प्रभावित कर रहा था जो इनकी मृत्यु की वजह बना।

Jawaharlal Nehru जवाहरलाल नेहरू
जवाहर लाल नेहरू जी के जीवन का 1918-1919 वर्ष की अवधि का समय राजनीतिक जीवन में प्रवेश का समय कहा जा सकता है। जवाहर लाल नेहरू इस समय महात्मा गांधी के संपर्क में आए और इन्होंने राजनीतिक जीवन की इनसे इस समय में दीक्षा ली। यह वह समय था जब इन्होंने महात्मा गांधी के साथ मिल कर रॉलेट रॉलेट अधिनियम ने खिलाफ आंदोलन किया। इस समय ही सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। इसके बाद 1947 से 1948 की अवधि का समय इनके जीवन का सबसे खास समय था क्योंकि इसी दौरान वह स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। तत्पश्चात शनि जब इनके जन्म शनि से गोचर में सप्तम भाव में आए और जन्म शनि को गोचर में सक्रिय किया तो वह इनके परलोक गमन का समय था। यह वर्ष था 1964 का। इनकी जन्मकुंडली कर्क लग्न और कर्क राशि की है। शनि इनकी कुंडली में सिंह राशि में स्थित है। जीवन में शनि भी इनके जन्म शनि से गुजरे, इनका जीवन बदल गया।

Mr. Narendra Modi श्री नरेंद्र मोदी
अब बात करते हैं श्री नरेंद्र मोदी की। इनकी कुंडली वृश्चिक लग्र और वृश्चिक राशि की है। शनि इनके दशम भाव में सिंह राशि में स्थित हैं। इनका जन्म 1950 में हुआ और शनि इन पर 1977 में आए। उस समय नरेंद्र मोदी आर.एस.एस. में महत्वपूर्ण भूमिका में सामने आए। इसके बाद 2022 से 2023 के मध्य शनि जन्म शनि से सप्तम भाव पर गोचर करेंगे।
 

 

 
 

Niyati Bhandari

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