विवाह पंचमी 2020: ऐसे हुआ देवी सीता का जन्म, जानें इनके विवाह की संपूर्ण कथा

Thursday, Dec 17, 2020 - 07:04 PM (IST)

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विवाह पंचमी का त्यौहार इस बार 19 दिसंबर को मनाया जा रहा है। इससे पहले भी हम आपको इसके बारे में काफी जानकारी दे चुके हैं। जिस में हमने आपको बताया कि विवाब पंचमी का दिन श्री राम व देवी सीता के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसी कड़ी में आगे हम आपको बताने वाले हैं कि इससे जुड़ी कथा के बारे में। धार्मिक मान्यताएं हैं कि जो भाी व्यक्ति इस दिन श्री राम व सीता माता के विवाह की कथा सुनता है उसका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। तो वहीं जो अविवाहित होते हैें उन्हें इस दिन शीघ्र शादी होने के योग बनने लगते हैं। तो आइए जानते हैं श्री राम और माता सीता के विवाब से जुड़ी कथा- 

सनातन धर्म के धार्मिक शास्त्रों में जो कथाएं वर्णित हैं उसके अनुसार श्री राम राजा दशरथ के घर पैदा हुए थे और माता सीता जनक की पुत्री थी। कथाओं के मुताबिक राजा जनक हल चला रहे थे, जब उन्हें एक नन्ही सी बच्ची मिली थी, जिन्हें जनकनंदिनी के नाम से भी जाना जाता है। जब इनकी बढ़े होने पर राजा जनक ने सीता माता का वर चुनने के लिए स्वयंवर रखा थे, तो सभा मे आए सभी राजकुमारों को शिव जी का धनुष उठाना था। जिसके बारे में मान्यता ये थी कि परशुराम के अलावा इसे कोई उठा नहीं सकता था। यही वजह था कि राजा जनक ने पुत्री सीता का वर चुनने के लिए ये शर्त रखी। इस स्वयंवर में भगवान राम और लक्ष्मण ने भी प्रतिभाग किया। जहां अन्य कई और राजकुमार भी आए हुए थे पर कोई भी शिव जी के धनुष को नहीं उठा सका। जिसके बाद राजा जनक हताश हो गए और कहने लगे कि 'क्या कोई भी मेरी पुत्री के योग्य नहीं है?' 

कथाओं के अनुसार वहां महर्षि वशिष्ठ भी मौजूद थखे, जिन्होंने भगवान राम को शिव जी के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने को कहा। गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान राम शिव जी के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने लगे, जिसके साथ ही धनुष के दो टुकड़े हो गए। कहा जाता है इस प्रकार सीता जी का विवाह राम से संपन्न हुआ। सनातन धर्म में वर्णित इनसे जुड़ा वर्णन, दर्शाता है कि श्री राम और माता सीता आदर्श दंपत्ति (पति पत्नी) का उदाहरण हैं। न केवल आदर्श बल्कि प्रेम, समर्पण और मूल्यों को प्रदर्शित करता है।

Jyoti

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