विवाह पंचमी के दिन हुआ था श्री राम और देवी सीता का विवाह, जानें पूजन विधि

Tuesday, Dec 15, 2020 - 12:54 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म के अनुसार साल में पड़ने वाले 12 के 12 माह में विभिन्न प्रकार के पर्व व त्यैहार पड़ते हैं। इन सभी का रहस्य हिंद धर्म के देवी-देवताओं के साथ जुड़ा हुआ होता है। हाल ही की बत करें तो 2020 वर्ष का अंतिम चरण यानि दिसंबर का आखिरी महीना चल रहा है। अगर हिंदू पंचांग के अनुसार देखें तो यह मार्गशीर्ष का माह माना जाता है। शास्त्रों में इस माह को श्री कृष्ण का स्वरूप कहा गया है। जिस कारण इस मास में इनकी खास रूप से पूजा अर्चना की जाती है। मगर बता दें इस मास में इनकी पूजा के अलावा खई अन्य पर्व त्यौहार पड़ते हैं, जिसके अनुकूल देवी-देवताओं की पूजा करना अधिक आवश्यक होता है।

इस सप्ताह की आने वाली 19 तारीख यानि 19 दिसंबर को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का उत्सव मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन श्री राम और सीता माता का विवाह संपन्न हुआ था। तो वहीं कुछ मान्यताओं की मानें तो इस दिन तुलसी दास ने रामचरित्र मानस भी पूर्ण किया था। यही कारण है इस दिन को विशेष माना जाता है। तो चलिए जानते हैं क्या है इस दिन का महत्व आदि।

विवाह पंचमी का महत्व
सनतान धर्म के ग्रंथों के अनुसार चूंकि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्म श्री राम और देवी सीता का विवाह संपन्न हुआ था, इसलिए इस दिन का अधिक महत्व माना जाता है। कहा जाता है जिस लड़का-लड़की की शादी न हो रहो उसे इस जिन विधि वत तरीके से श्री राम और माता सीता की आराधना करनी चाहिए। तो वहीं जिन लोगों के शादीशुदा जीवन में किसी प्रकार की कोई समस्या आ रही हो तो इस दिन श्री राम और देवी सीता की पूजा करने से सभी तरह के इच्छाएं दूर हो जाती हैं।

आइए अब जानते हैं क्या है विवाह पंचमी की पूजा विधि-
प्रातः उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर नए वस्त्र या स्वच्छ वस्त्र धारण करें और श्रद्धा विश्वास से श्री राम विवाह का संकल्प लें।

इसके बाद एक चौकी पर आसन बिछाकर भगवान श्री राम और देवी सीता की प्रतिमा स्थापित कर लें। श्री राम को पीले और देवी सीता को लाल नए वस्त्र भेंट करें।

दोनों की प्रतिमाओं को तिलक कर, धूप, दीप से विधि-विधान के साथ पूजन आरंभ करें।
 
इसके बाद बालकांड में दिए विवाह प्रसंग का पाठ करें। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इस दिन बालकांड में भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह के प्रसंग का पाठ करना अत्यंक शुभ होता है। इससे पारिवारिक सुखों में वृद्धि होती है, साथ ही साथ दापंत्य जीवन खुशहाल होता है।  

विवाह पंचमी तिथि-
पंचमी तिथि आरंभ- 18 दिसंबर 2020 रात 02 बजकर 22 मिनट से 

पंचमी तिथि समाप्त- 19 दिसंबर 2020 दोपहर 02 बजकर 14 मिनट तक 

 

Jyoti

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