विष्णु सहस्त्रनाम पाठ के क्या हैं फायदे ?

Thursday, Dec 27, 2018 - 01:32 PM (IST)

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वैदिक और पौराणिक मंत्र इतने शक्तिशाली व प्रभावी हैं कि रोगी को मृत्यु के मुंह से निकाल सकते हैं। मंत्र विद्या हिंदू धर्म की महान खोज है। मंत्रों का प्रयोग विश्व में सभी सम्प्रदाय के लोग प्रारंभ कर चुके हैं। जैसे पानी से अधिक शक्ति उसकी भाप में होती है उस वाष्प से कितने बड़े-बड़े उद्योग कारखाने चलते हैं। इस पंच तत्व का सबसे सूक्ष्म तत्व आकाश होता है और वह परम शक्तिशाली तत्व हैं और हमारे मंत्रों का आकाश तत्व से संबंध होता है। मंत्र आकाश तत्व से परम निकट संबंध रखते हैं। मंत्रों का काम शरीर में स्थित शक्ति केंद्रों को जगाना है।

मंत्र चिकित्सा में हम अपने देव को एक विधि से ही पुकारते हैं, जिससे हमारे शरीर के चक्र जाग जाते हैं और हम निरोग होते हैं। इस चिकित्सा में पवित्रता, गुरु आराधना, यज्ञ, उपवास, तीर्थ ये सारी क्रियाएं तन एवं मन को शक्ति प्रदान करती हैं।

चरक जैसे महान आयुर्वेद के जनक ने अपने ग्रंथ चरक संहिता में बुखार की चिकित्सा के बारे में कहा है- ‘‘विष्णु रं स्तुवन्नामसहस्त्रेण ज्वरान् सर्वनपोहति।’’

विष्णु सहस्त्र नाम के पाठ से ज्वर यानि बुखार का नाश होता है, रोगी के द्वारा न हो सकें तो विद्वान धर्मनिष्ठ से पाठ कराना चाहिए।

महर्षि वाग्भट्टाचार्य जी कहते हैं कुष्ठ रोग ठीक करने के लिए सूर्य की आराधना के साथ सूर्य मंत्र का जाप, व्रत, यज्ञ इसे शीघ्र ठीक कर सकता है।

मंत्रों का प्रयोग आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए। रोगी के सिर पर अपना दाहिना हाथ रखकर स्वास्थ्य लाभ के लिए इस मंत्र का जाप करें। ‘अच्युतानंद गोबिंद नामोच्चारणभेषजात’। नश्यन्ति सकलारोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम्।’’

भावार्थ- हे! अच्युत, हे! अनन्त, हे! गोविंद नाम के उच्चारण से अनेक रोग नष्ट होते हैं। मैं सत्य कहता हूं मैं सत्य कहता हूं ऐसी क्रिया से रोग नाश करना होता है।

हमारे वेद मंत्र संस्कृत भाषा में हैं, विश्व की सभी भाषाओं में यह संस्कृत भाषा ही वैज्ञानिक भाषा है। संस्कृत के श्लोक और मंत्रों में अत्यधिक हीलिंग वाइब्रेशन है।
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Niyati Bhandari

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