अद्भुत संयोग के साथ शुरू हो रहा है नया संवत्सर, मंगल के हाथ रहेगी कमान!

Thursday, Apr 08, 2021 - 12:29 PM (IST)

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13 अप्रैल मंगलवार को हिंदू नव वर्ष के रूप में विक्रम संवत 2078 की शुरुआत हो रही है और इस शुरुआत के साथ ही एक विलक्षण संयोग भी जुड़ रहा है। 90 सालों बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि संवत्सर प्रतिपदा और विषुवत सक्रांति दोनों एक ही दिन 13 अप्रैल को हो रही है। नया संवत्सर वृषभ लग्न और रेवती नक्षत्र में शुरू होने वाला है। संयोग से आजाद भारत की कुंडली भी वृषभ लग्न की है जिसमें राहु विराजमान है।  इस बार अमावस्या और नव संवत्सर के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों मीन राशि में ठीक एक ही अंश पर रहने वाले हैं यानी मीन राशि में ही नया चंद्रमा उदय हो जाएगा। वृषभ राशि शुक्र की राशि है और इस राशि में मंगल और राहु दोनों ही मौजूद रहेंगे। क्योंकि मंगलवार से नए संवत्सर की शुरुआत हो रही है जिस वजह से मंगल ग्रह इस वर्ष के राजा व मंत्री होंगे। यानि इस साल की कमान मंगल के हाथ में रहेगी ।

मंगल को कड़े फैसले लेने वाला ग्रह भी माना जाता है। इसे क्रूर ग्रह की संज्ञा भी दी जाती है। नव संवत्सर की  कुंडली में लग्न में मंगल और राहु दो क्रूर ग्रहों का एक साथ कंबीनेशन बनाना  कई बार थोड़ी उथल पुथल व ऐतिहासिक बदलाव भी लेकर आता है। कई दशकों के बाद ऐसा संयोग बनने जा रहा है जब वर्ष के राजा और मंत्री का पद मंगल जैसे ग्रह को मिलेगा, जिन नवग्रहों में सेनापति भी कहा जाता है। और मंगल हमेशा कड़क फैसले देता है व विरोध की परवाह नहीं करता।nचंद्रदेव इस वर्ष के सेनापति होंगे । देव गुरु बृहस्पति इस बार वित्त मंत्री होंगे और बुध इस बार कृषि मंत्री होंगे। 

नए संवत्सर के राजा मंगल ग्रह , गोचर में मिथुन राशि पर रहेंगे। यहां से वह चौथी दृष्टि से कन्या राशि को देखेंगे सातवीं दृष्टि से धनु राशि को देखेंगे और आठवीं दृष्टि से मकर राशि को देखेंगे। मकर राशि भले ही मंगल की उच्च राशि है लेकिन पूरा साल यहां पर शनि विराजमान रहने वाले हैं लिहाजा इस दृष्टि से मंगल का शनि से षडाष्टक संबंध भी बनेगा।

संवत्सर का मतलब 12 महीने की काल अवधि है। सूर्य सिद्धांत के अनुसार संवत्सर बृहस्पति ग्रह के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं बृहस्पति हर 12 साल में सूर्य का एक चक्कर पूरा करता है। शास्त्रों में कुल 60 संवत्सर बताए गए हैं और इन 60 संवत्सर यानी कि 60 सालों के 3 हिस्से होते हैं। संवत्सर के पहले हिस्से को हम ब्रह्माजी से जोड़ते हैं। इसे ब्रह्मविशती कहते हैं दूसरे भाग को विष्णु विंशति और तीसरे व अंतिम भाग को शिव विंशति कहते हैं। संवत्सर का न केवल पौराणिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्व है। ब्रह्मपुराण में ऐसा उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मा जी ने इसी तिथि को सूर्योदय के समय सृष्टि की रचना की थी , वहीं भारत के महान सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के संवत्सर का भी यहीं से आरंभ माना जाता है।

मंगल ग्रह के इस वर्ष के राजा वा मंत्री होने से भूमि का कारोबार यानी रियल स्टेट से जुड़े लोगों को फायदा होगा और देश की सेना ताकत भी बढ़ेगी। चंद्रदेव के सेनापति होने से विज्ञान साहित्य व खेल जगत से जुड़े लोगों को कई उपलब्धियां हासिल होंगी। देव गुरु बृहस्पति द्वारा वित्त मंत्री की कमान संभालने पर बिज़नस में प्रगति होगी और लोगों का धार्मिक कार्यों की ओर भी रुझान बढ़ेगा।बुध के कृषि मंत्री होने से इस साल अच्छी बारिश व अच्छी फसल होने की संभावना है।
 

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com

Jyoti

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