Vijayadashami: दशहरा अथवा विजयादशमी से जुड़ा है ये अद्भुत इतिहास

punjabkesari.in Friday, Oct 04, 2024 - 08:07 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Vijaya Dashami 2024: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला विजयदशमी सनातन संस्कृति का प्रमुख त्यौहार है। इस पर्व को भगवान श्री राम की विजय के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन उन्होंने लंकापति नरेश रावण का वध किया था। श्री राम द्वारा लंका विजय भारत का सबसे बड़ा पराक्रम माना जाता है। उनकी विजय यात्रा इसी दिन आरंभ हुई इसलिए सम्पूर्ण भारतवासियों के लिए यह दिन विजय मुहूर्त बन गया। यह पर्व भारतीय संस्कृति में समावेशित वीरता, पराक्रम तथा शौर्य का उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता तथा शौर्य प्रकट हो इसलिए दशहरे के उत्सव का विधान किया गया। विजयदशमी का पर्व क्षत्रियों की विजय शौर्य का त्यौहार है। यह शक्ति पूजा का पर्व है।

PunjabKesari Vijayadashami

हमारे देश में शस्त्र पूजा का विधान शास्त्र सम्मत रहा है। हमारे शास्त्रों में वर्णित है कि ‘शस्त्रेण रक्षिते राष्ट्रे शास्त्र चर्चा प्रवर्तते’

PunjabKesari vijayadashami

अर्थात जिस राष्ट्र में शौर्य, पराक्रम और वीरता की पूजा होती है उस राष्ट्र में शास्त्रों एवं धर्म ग्रंथों का पठन-पाठन नियमित रूप से चलता है। यही इस पर्व का वैदिक स्वरूप है। भगवान श्री राम ने भी युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक शक्ति और शौर्य की देवी दुर्गा की उपासना की और दसवें दिन अहंकारी रावण का वध किया था। राम की विजय और शक्ति साधना पूरी होने की तिथि एक ही है।

PunjabKesari vijayadashami

विजयदशमी पर आसुरी आतंक के प्रतिनिधि रावण की पराजय हुई। भगवान श्री राम शक्ति, विजय, मर्यादा, और दिव्य गुणों के पर्याय हैं। मानव धर्म की पूरी पराकाष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम में दृष्टिगोचर होती है। शस्त्र और शास्त्र दोनों ही श्री राम के हाथ में आकर अपने आप को धन्य अनुभव करते हैं। छात्र धर्म और ब्राह्मणत्व दोनों का संतुलन भगवान श्री राम के जीवन में दृष्टिगोचर होता है। विजयदशमी का यह पर्व असुरत्व पर देवत्व की विजय का प्रतीक है। भगवान श्री राम के शौर्य, शक्ति और मर्यादा को अपने जीवन में समावेशित करके हमें यह पर्व प्रत्येक विकट परिस्थिति में आसुरी शक्तियों से लड़ने को प्रेरित करता है।

PunjabKesari Vijayadashami

प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। मराठा रणवीर शिवाजी ने भी इसी दिन प्रतिज्ञा करके निर्दयी औरंगजेब का प्रतिकार करने के लिए प्रस्थान किया था। दशहरा का पर्व हमारे मानसपटल में व्याप्त दस प्रकार के पापों काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे अवगुणों का समूल विध्वंस करने की प्रेरणा देता है। विजयदशमी के इस पर्व का यह दिव्य संदेश है कि जब-जब आसुरी और दानवी शक्तियां संसार में प्रबल होती हैं, उनका विनाश भी अति शीघ्र होता है।

PunjabKesari vijayadashami

रावण आसुरी शक्ति के प्रतिनिधि हैं और भगवान श्री राम दैवी शक्ति के। हमारे मनीषियों ने इस उत्सव के सूक्ष्म संदेश का वर्णन करते हुए इसे दस इंद्रियों पर विजय का पर्व माना है। असत्य पर सत्य की, बहिर्मुखी पर अंतर्मुखी की, अन्याय पर न्याय की, दुराचारी पर सदाचारी की, तमोगुण पर दैवी गुणों की, दुष्कर्मों पर सत्कर्म की, भोग पर योग की, असुरत्व पर देवत्व की विजय का प्रतीक यह विजयदशमी पर्व है। इस दिन कुंभकरण, मेघनाद और रावण के पुतलों का दहन किया जाता है, जो हमें इस बात का संदेश देता है कि हमारे अंतर्मन में विद्यमान दुर्गुण-दुराचारों के दहन से ही हमें देवत्व की प्राप्ति होती है।

PunjabKesari Vijayadashami

देशभर में विजयदशमी के त्योहार से पूर्व रामलीलाओं का मंचन होता है। जिसमें विशेष रूप से मर्यादा के स्तंभ श्री राम के जीवन से शक्ति और शौर्य के संतुलन से प्रत्येक भारतवासी अपने अंत:करण में श्री रामचंद्र जैसे दिव्य गुणों को आत्मसात करने की प्रेरणा प्राप्त करता है। विजयदशमी का यह पावन पर्व हमें हृदय में व्याप्त निकृष्ट प्रवृत्तियों पर आध्यात्मिक साधना, शक्ति, शौर्य और पराक्रम की उपासना से विजय प्राप्त करने का दिव्य संदेश देता है।

PunjabKesari vijayadashami


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News