Vidur Niti: विदुर जी की यह नीति आपको देगी सुखी और स्वस्थ जीवन

Thursday, Apr 18, 2024 - 10:30 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

क्रोध
क्रोध सभी का एक महान शत्रु है। इसके वश में होने पर पुरुष धर्म (कर्तव्य-अकर्तव्य के ज्ञान) तथा परिणाम को भूल जाता है जिससे उसका पतन होता है। क्रोधी पुरुष स्वयं कुछ भी करने में असमर्थ रहता है। क्रोध अकेला ही मनुष्य को नरक में पहुंचाने में समर्थ नरक का द्वार ही है। प्रतिकूलता सहन करने का अभ्यास करने पर ही क्रोध से रक्षा होती है। यदि दूसरा क्रोध करे, तो मन में शांति रखकर उसे क्षमा कर देना चाहिए। इससे आपका जीवन संवर जाएगा।



स्वार्थ
स्वार्थ सभी अनर्थों का मूल है। लोक में होने वाले युद्धों का कारण स्वार्थ ही है। स्वार्थी मनुष्य स्वार्थ की सिद्धि के लिए बड़े से बड़ा पाप करने में भी लज्जा का अनुभव नहीं करता। इस स्वार्थ के ही कारण आज चारों ओर पापों की वृद्धि होकर घोर अशांति छाई हुई है।


दूसरे के सुख को देखकर सुखी होने और दुखी देखकर दुखी होने का अभ्यास करने पर स्वार्थ दोष का नाश होता है। हम लोग सच्चे हृदय से प्रार्थना करें ‘सब सुखी हों, सब निरोग हों, कल्याण को देखें, कोई भी दुख को प्राप्त न हो।’

Niyati Bhandari

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