क्रोध पर विजय से निश्चित ही हासिल होगी जीत

Tuesday, Nov 21, 2017 - 09:25 AM (IST)

एक व्यक्ति के बारे में यह विख्यात था कि उसको कभी क्रोध आता ही नहीं है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें सिर्फ बुरी बातें ही सूझती हैं। ऐसे ही व्यक्तियों में से एक ने निश्चय किया कि उस अक्रोधी सज्जन को क्रोधित किया जाए और वह लग गया अपने काम में। उसने इस प्रकार के लोगों की एक टोली बना ली और उस सज्जन के नौकर से कहा, ‘‘यदि तुम अपने स्वामी को उत्तेजित कर सको तो तुम्हें पुरस्कार दिया जाएगा।’’

 

नौकर तैयार हो गया। वह जानता था कि उसके स्वामी को सिकुड़ा हुआ बिस्तर तनिक भी अच्छा नहीं लगता है अत: उसने उस रात बिस्तर ठीक नहीं किया। प्रात:काल होने पर स्वामी ने नौकर से केवल इतना कहा, ‘‘कल बिस्तर ठीक नहीं था।’’ सेवक ने बहाना बना दिया और कहा, ‘‘मैं ठीक करना भूल गया था।’’

 

भूल तो नौकर ने की नहीं थी अत: सुधरती कैसे? इसलिए दूसरे, तीसरे और चौथे दिन भी बिस्तर ठीक नहीं बिछा। तब स्वामी ने नौकर से कहा, ‘‘लगता है कि तुम बिस्तर ठीक करने के काम से ऊब गए हो और चाहते हो कि मेरा यह स्वभाव छूट जाए। कोई बात नहीं। अब मुझे सिकुड़े हुए बिस्तर पर सोने की आदत पड़ती जा रही है।’’ अब तो नौकर ने ही नहीं बल्कि उन धूर्तों ने भी हार मान ली। 

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