Victoria Park: आजादी की लड़ाई का मूक गवाह मेरठ जिले का विक्टोरिया पार्क, यहीं से बजा था क्रांति का बिगुल

punjabkesari.in Tuesday, Jun 18, 2024 - 11:35 AM (IST)

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Victoria Park: मेरठ जिले का विक्टोरिया पार्क भारत की आजादी की लड़ाई का मूक गवाह है। विक्टोरिया पार्क की नई जेल में बंद भारतीय सैनिकों को छुड़वाने के लिए क्रांतिकारियों की कोशिश इतिहास में दर्ज हो गई।

प्रसिद्ध इतिहासकार के.डी. शर्मा के अनुसार, जब भारतीय सैनिकों ने विद्रोह किया तो अंग्रेजों को डर लगने लगा कि अगर उन्हें बैरक की जेल में रखा तो कहीं विद्रोह न भड़क जाए इसलिए उन्होंने छावनी से 5 कि.मी. दूर जंगल में विक्टोरिया पार्क नामक स्थान पर एक नई जेल तैयार कराई। 9 मई को वहां पर इन 85 भारतीय सैनिकों को कैद कर दिया गया। 10 मई को रविवार के दिन भारतीय सैनिकों ने उन्हें वहां से छुड़ा लिया था।

विक्टोरिया पार्क के पास सख्त थी सुरक्षा
विक्टोरिया पार्क में विद्रोही भारतीय सैनिकों को नजरबंद करने के बाद अंग्रेज अधिकारियों ने इसकी सुरक्षा कड़ी कर दी थी। जेल के चारों ओर सिपाहियों ने तेजी दिखाई और अपनी ड्यूटी से पहले ही 85 सैनिकों को विक्टोरिया पार्क जेल से मुक्त करा लिया। देखते ही देखते फिरंगियों के खिलाफ विद्रोह की आवाज मुखर हो गई। तीनों रैजीमैंटों के सिपाही विभिन्न टोलियों में बंट गए और विक्टोरिया पार्क पर कब्जा कर लिया। इतिहासकार डॉ. के.डी. शर्मा के मुताबिक, मेरठ से शुरू हुई क्रांति का असर विश्व पटल पर पड़ा। मांस का चर्बी लगा कारतूस चलाने से मना करने पर 85 सैनिकों का विद्रोह विदेशी अखबारों में सुर्खी बना।

सुबह से ही शुरू हो गई थी चहलकदमी
विक्टोरिया पार्क के पास 10 मई की सुबह से ही क्रांतिकारियों की चहलकदमी शुरू हो गई थी। अंग्रेज इस बात से बेखबर थे। रविवार का दिन था। चर्च में सुबह की जगह शाम को अंग्रेज अधिकारियों ने जाने का फैसला किया। गर्मी इसका मुख्य कारण थी। कैंट एरिया से अंग्रेज अपने घरों से निकलकर सेंट जोंस चर्च पहुंचे। कई अंग्रेजी सिपाही छुट्टी पर थे। इस कारण विक्टोरिया पार्क स्थित जेल में सुरक्षा कुछ कम थी। शाम करीब साढ़े 5 बजे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी सैनिक और अधिकारियों पर विक्टोरिया पार्क में हमला बोल दिया। वहां जेल में तैनात सभी अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया गया। इसके बाद सदर, लालकुर्ती, रजबन व अन्य क्षेत्रों में 50 से अधिक अंग्रेजों की मौत के साथ विद्रोह की शुरुआत हुई थी।

जर्जर हो चुकी इमारत
आज इस ऐतिहासिक स्थल के चारों ओर बड़ी-बड़ी घास उग आई है। इमारत जर्जर हो चुकी है और इस इमारत को अब मेरठ कॉलेज का छात्रावास बना दिया गया है। 


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Content Editor

Prachi Sharma

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