इस पेड़ में भगवान श्री गणेश करते हैं निवास, घर लाने से बढ़ता है सौभाग्य

Wednesday, Mar 23, 2022 - 05:17 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हमारे हिंदू धर्म में जितना महत्व देवी-देवताओं को दिया जाता है, उतना ही महत्व उनसे जुड़ी वस्तुओं से माना जाता है। जी हां, धार्मिक, ज्योतिष व वास्तु शास्त्र में ऐसी बहुत सी चीज़ों के बारे में बताया गया है जिनका संबंध हिंदू धर्म के देवी-देवताओं से होता है। इतना ही नहीं बल्कि कुछ वस्तुएं ऐसी हैं जिनमें तो साक्षात भगवान का निवास माना जाता है। आज हम आपको एक ऐसी चीज़ के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें बप्पा का निवास माना जाता है। जी हां, दरअसल वास्तु शास्त्र में एक ऐसे पेड़ के बारे में बताया गया है जिसमें बप्पा का वास होता है। आपको बता दें हम बात कर रहे हैं आक के पेड़ की, जिसे आम भाषा में आकड़ा, अकउआ और मदार भी कहा जाता है। बताया जाता है कि आसानी से जगह-जगह मिलने वाला ये पौधा मुख्य रूप से किसी भी बंजर भूमि में पाया जाता है। आक के पौधे व पेड़ की पत्तियों के बीच सफेद और हल्के बैंगनी रंग के फूल होते हैं। बात करें अगर इस पेड़ या पौधे को धार्मिक दृष्टि से देखने की तो कहा जाता है कि आक के पौधे में हिंदू धर्म के प्रथम पूज्य देवता भगवान गणेश जी का वास होता है। तो वहीं ये भी मान्यता है कि आक के फूल गणेश भगवान के पिता यानि देवों के देव महादेव को अत्यंत प्रिय हैं। ऐसा कहा जाता है अगर व्यक्ति किसी शुभ मुहूर्त में इसके पौधे को घर में लगाता है, तो ये पौधा व्यक्ति के जीवन को सरल बनाने में अपना योगदान करता है। तो चलिए जानते हैं इससे जुड़ी अन्य खास जानकारी- 

वास्तु व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आक के पेड़ को घर में लाने से वहां रहने वाले लोगों का दुर्भाग्य दूर होता है और सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है। वास्तु में इससे जुड़ा एक उपाय भी बताया है जिसके अनुसार जिस व्यक्ति का भाग्य उसका साथ न दे रहा हो, उसे आक के पेड़ की जड़ को अभिमंत्रित करते बुधवार के दिए दायीं भुजा पर बांधकर इसके पश्चात गणेश जी का सौभाग्यपूर्वक संकटनाशन स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। कहा जाता है ये उपाय करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। 

ज्योतिष विद्वानों के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की बीमारी पकड़ में न आ रही हो, तो उसे आक की जड़ की मदद लेनी चाहिए। इसके तहत व्यक्ति को रविवार को पुष्य नक्षत्र में आक की जड़ घर लेकर आना चाहिए और उसे गंगाजल से धोने के पश्चात इस जड़ पर सिंदूर लगाकर गुग्गल की धूप देनी चाहिए। इसके पश्चात श्री गणेश जी के 108 मंत्र का श्रद्धा के साथ जाप करें। फिरजड़ को रोगी के सिर से 7 बार उतारें और शाम को किसी सुनसान जगह पर जाकर जड़ को गाड़ दें। ऐसा कहा जाता है इससे रोग का रोग पकड़ में आ जाता है। 

इसके अलावा कहा जाता है कि आक की जड़ संतान सुख दिलाने में विशेष कारगर होती है। कोई महिला जो संतान सुख से वंचित हो, उसे मासिक धर्म के पश्चात आक की जड़ को अपनी कमर में बांध लेना चाहिए और इसे लगातार अगले मासिक धर्म आने तक बांधे रखना चाहिए। 
 

Jyoti

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