शारदीय नवरात्रि 2019: दुर्गा पूजा में काम आएंगे वास्तु के ये टिप्स

Saturday, Sep 28, 2019 - 06:10 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
29 सितंबर यानि कल रविवार से पूरे देशभर से शारदीय नवरात्रों का पर्व शुरू हो रहा है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के पूरे नौ दिन नवदुर्गा यानि देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दौरान कुछ लोग नवरात्रि के आख़िरी 2 दिन तो कुछ लोग नवरात्रि पर्व के पूरे 9 दिन उपवास करते हैं ताकि उनको मां का आशीर्वाद प्राप्त हो सके। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये सब करने से मां अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न होती हैं। मगर कछ लोग इस पर्व की उत्सुकता में इतना खो जाते हैं कि इस दौरान पालन किए जाने वाले नियमों को भूल ही जाते हैं।

आज हम आपको नवरात्रि के इस खास मौके पर दुर्गा पूजा में बरते जाने वाले नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं। वास्तु शास्त्र की मानें तो पूजा को सफल और फलदायी बनाने के लिए देवी-देवताओं की प्रतिमा की स्थापना और पूजा के लिए सही दिशा का चयन करना बहुत ज़रूरी होता है। तो अगर भी आप अपनी पूजा स्थल में वास्तु का सही ध्यान रखेंगे तो घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होगा। साथ ही वास्तु के कुछ सरल उपायों को अपनाने से मां से आपको मनोवांछित फल  की प्राप्ति भी हो सकती है।

नवरात्र के पहले दिन घर की पूरी तरह साफ-सफाई करके घर से फालतू सामान निकाल दें और उसे बाहर निकाल दें। कहा जाता है घर में बेकार पड़ा सामान नकारात्मक ऊर्जा लाता है। इसलिए गंदगी बिल्कुल न करे। बल्कि धूप-दीप जलाकर वातावरण को साफ़-सुथरा व सुंगधित करें।  

ज्योतिष की मान्यताओं के अनुसार पूजा के लिए सर्वात्तम स्थान उत्तर या फिर उत्तर-पूर्व यानि ईशान कोण होता है। इस दिशा को देवस्थान भी माना जाता है। नवरात्र में कलश स्थापना और पूरे नवरात्रि में पूजा के लिए इसी दिशा का प्रयोग करें।

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे। कहा जाता है पूर्व दिशा में देवताओं का वास होने की वजह से इस दिशा को शक्ति का स्रोत माना जाता है।

नवरात्र में माता की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या फिर आसन पर ही विराजमान करें। इसके अलावा जहां तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न ज़रूर बना लें। बता दें कि वास्तु में चंदन या फिर आम की लकड़ी की चौकी पर माता की प्रतिमा स्थापित करना सबसे उत्तम बताया गया है।

ज्यादातर लोग नवरात्र में नौ दिन तक अखंड ज्योति जलाते हैं। अगर आप भी अपने घर में अखंड ज्योति को जलाते हैं तो इसे घर की आग्‍नेय कोण यानि दक्षिण-पूर्व दिशा में जलाएं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अग्नेय कोण, अग्नि देवता का स्थान होता है।

नवरात्रि में मां की पूजा में प्रयोग होने वाली सारी सामग्री को मंदिर के दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें। इनमें लोबान, गुग्‍गल, कपूर और देशी घी प्रमुख तौर पर शामिल होने चाहिए। माता की पूजा में लाल रंग का विशेष महत्व होता है इसलिए पूजा की सामग्री को लाल कपड़े के ऊपर ही रखें।

देवी पूजन में तांबा और पीतल के बर्तनों का प्रयोग करें। इसके अलावा अगर चांदी की थाल या जलपात्र हो तो इसक प्रयोग कर सकते हैं।

नवरात्र के पहले दिन घर के मुख्‍य द्वार के दोनों तरफ़ स्‍वास्तिक का चिन्ह बनाएं और दरवाजे पर आम के पत्ते का तोरण भी लगाएं। साथ ही जहां पर कलश रखा हो वहां भी स्वास्तिक बनाएं, घर के सभी वास्तु दोष दूर होंगे।

Jyoti

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