टूटी-फूटी है आपके घर की छत, आज ही करवा लें मुरम्मत वरना...

Wednesday, Mar 11, 2020 - 06:52 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अक्सर लोगों को कहते सुना जाता है कि उनके अच्छे-खासे जीवन में अचानक से परेशानियां आ जाती हैं। जिसका असली कारण वो समझ नहीं पाते। कुछ लोग इसके लिए बड़े बड़े ज्योतिषियों के पास जाते हैं। मगर फिर भी अपनी समस्याओं का असली कारण नहीं समझ पाते। अब ऐसा क्यों होता है? ये ऐसा प्रश्न है जो हर किसी के मन में आता ही आता है। असल में कई बार इन सब की असली वजह हम खुद ही होते हैं। जी हां, हमारे द्वारा की गई छोटी-मोटी गलतियां हमारे जीवन में मुसीबतें पैदा करती हैं। मगर क्योंकि हम इसके बारे में जानकारी नहीं होती इसलिए हम समझ ही नहीं पाते कि हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है। आप सही समझ रहे हैं अपने इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको यही बताने वाले हैं कैसे वास्तु शास्त्र में बताई गई बातें हमारे जीवन पर प्रभाव डालती है। जिसमें मुख्य रूप से हम बात करेंगे घर की टूटी-फूटी छत के बारे में- 
 
वास्तु शास्त्र की मानें तो घर की छत कई प्रकार की होती है- सपाट छत, ढालू छत और गोल छत। ज्यादा वर्षावाले या बर्फबारी वाले क्षेत्रों में प्राय: ढालू छतें ही पाई जाती है। इसके अलावा छत के दो मुख्‍य प्रकर होते हैं जो हैं- रूम के भीतर की छत जहां पंखा आदि लगा होता है और दूसरी जिसे गच्ची या उपरी छत के नाम से जाना जाता है। हो सकता है इ इसके बारे में लगभग लोगों को जानकारी हो मगर इस बारे में कम ही लोग जानते होंगे कि इसका नुकसान भी हो सकता है। तो वहां रहने वाले लोगों के प्रभावित करता है। 

कहा जाता है कुंडली का 12वां भाव घर की छत माना गया है। जिसका अर्थ ये हुआ कि अगर आप अपने घर की छत को अच्छा व साफ़ रखेंगे तो कुंजली का 12 वां भाग खुद ही अच्छा हो जाएगा। वास्तु के अनुसार जो जातक अपने घर की छत को ठीक नहीं रखता उसके जीवन में रोग और शोक का जन्म होता है। 

साथ ही साथ इस बात को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि घर की छत पर किस प्रकार की गंदगी न हो। यहां किसी भी प्रकार के बांस या फालतू सामान भी न रखें। वास्तु के अनुसार जिन लोगों के घरों की छत पर अनुपयोगी सामान रखा होता है, वहां नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं। उस घर में रहने वाले लोगों के विचार नकारात्मक होते हैं। 

वास्तु के अनुसार जिस घर की छत उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर ढलान की होती है उस घर में आर्थिक हानि और नुकसान अधिक होता है। इसलिए इसे बनवाने से पहले किसी वास्तुशास्त्री से मिलकर सलाह ले लेनी चाहिए कि स्थान की ढलान किधर है।

इसके अलावा इस बात का ध्यान रखना भी अति आवश्यक होता है कि घर की छत में किसी भी प्रकार का उजालदान न हो। उदाहरण के तौर पर बता दें जैसे आजकल घर की छत में लोग दो-बाइ-दो का एक हिस्सा खाली छोड़ देते हैं उजाले के लिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार इससे घर में हमेशा हवा का दबाव बना रहता है, जो सेहत और मन-मस्तिष्क पर नकारातम्क बुरा प्रभाव डालता है। 
 
वास्तु विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि छत के निर्माण के दौरान ये बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि वे तिरछी डिजाइन वाली न हों। इससे डिप्रेशन और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।


 

Jyoti

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