वास्तु में वर्णित हैं संतान प्राप्ति के उपाय, आप भी ज़रूर जानें

Thursday, Dec 17, 2020 - 01:05 PM (IST)

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जैसे लड़का-लड़की की शादी होती है, उनके घर वालों को एक लालसा तड़पाने लगती है कि उनके घर बच्चे की किलकारियां गूंज जाए। मगर कई बार कुछ दंपत्तियां शादी के कई वर्षों बाद भी ये सुख प्राप्त नहीं कर पाते। ऐसे में लोग कई तरह के उपाय आदि करते हैं। बल्कि हर संभव कोशिश करते हैं, चिकित्सक के पास जाते हैं, तो कुछ ज्योतिषियों के पास जाते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के पास भी इस समस्या का समाधान है। 
जी हां, वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि जिन विवाहित जोड़े को संतान की प्राप्ति न हो रही हो, उसे आग बताए गए वास्तु टिप्स को अच्छे से अपनाना चाहिए। क्योंकि ये एक ऐसा सुख है जिसे पाना हर दंपत्ति का सपना होता है। कहा जाता है माता पिता का सुख दुनिया का सबसे बड़ा सुख। तो आइए जानते हैं किन उपायों को करके आप भी शीघ्र प्राप्त कर सकते हैं माता पिता बनने का ये सुख- 

वास्तु शास्त्र के अनुसार संतान प्राप्ति के लिए अपने शयन कक्ष में श्री कृष्ण के बालरूप की तस्वीर लगानी चाहिए। अगर किसी कारण वश इनका चित्र नहीं लगा पाएं तो किसी भी हंसते खेलते सुंदर बालक का चित्र लगा सकते हैं। परंतु कहा जाता है कि अगर इनकी यानि श्री कृष्ण की तस्वीर लगाई जाए तो इस बहुत जल्दी संतान सुख प्राप्त होता है। 

इसके अलावा शीघ्र संतान प्राप्ति के लिए मैरिड कपल को वास्तु के मुताबिक अपने बेडरूम में हाथी का चित्र लगाना चाहिए। 
 
शादी के कई वर्ष बाद भी संतान प्राप्ति न हो रही हो तो दंपत्ति को अपने बिस्तर में हरे रंग की बांसुरी को छिपाकर रखनी चाहिए। 

विवाहित कपल को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बेडरूम में पत्नी को हमेशा पति के बाएं ओर सोना चाहिए। साथ ही इस बात की ओर खास ध्यान रखना चाहिए कि पती-पत्नी का बिस्तार छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए।

वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि जिस घर में ईशाण कोण की दिशा में कोई भी वास्तु दोष हो जैसे भारी निर्माण हो, ईशाण कोण या कटा होना या ऊंचा होना, सीढ़ियां, टॉलेट आदि का होना संतान सुख में रुकावट डालता है। अतः ईशाण कोण में कोई भी वास्तु दोष हो तो सर्वप्रथम उस दोष का उपाय करना चाहिए। 

इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि पति पत्नी को हो सके तो वायव्या दिश के कमरे में सोना चाहिए। मगर गर्भधारण करके के बाद दम्पत्ति को दक्षिण या नैऋत्य भाग के शयन कक्ष सोना चाहिए।

Jyoti

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